वस्तु एवं सेवा कर यानि जीएसटी के तहत ई—वे बिल एक नई व्यवस्था है, जिसमें हर राज्य में 10 किलोमीटर अंदर प्रवेश करने वाले वाहन पर 50 हजार रूपये से अधिक के सामान को परिवहन के लिए अनिवार्य किया गया है।
जीएसटी सामान्यत: एक गंतव्य आधारित टैक्स है। इसका मतलब यह है कि यदि किसी वस्तु का निर्माण उत्तर प्रदेश में हुआ है और उसे बिहार में बेचा जाता है। तो कर का भुगतान बिहार में होगा।
ई-वे बिल सिस्टम के तहत अब करदाताओं और ट्रांसपोर्टरों को किसी भी टैक्स कार्यालय या चेक पोस्ट पर रुकने की जरूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि ई-वे बिल इलेक्ट्रॉनिक रूप से तैयार किया जा सकता है और इसमें खुद से पैसे कट जाएंगे।
जीएसटी के तहत ई-वे बिल सिस्टम एक फरवरी 2018 से लागू है।
वर्ष 2021-22 के बजट में ई-वे बिल के सेक्शन 129 में बदलाव कर दिया गया है। इससे आने वाले दिनों में ट्रांसपोर्टर्स की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। पहले ई-वे बिल में खामी पाए जाने पर दो तरह की पेनाल्टी लगती थी।
अब यदि ई-वे बिल में कोई त्रुटि होती है, तो टैक्स और पेनाल्टी दोनों लगेगी। साथ ही जो टैक्स पहले वापस हो जाता था, वह अब नहीं होगा। ई-वे बिल के नए नियम के मुताबिक, किसी भी सामान को 24 घंटे में 200 किलोमीटर तक पहुंचाना है। पहले ये एक दिन में 100 किलोमीटर था।
ये भी पढ़ें— FASTAG: पुराने वाहनों के लिए भी फास्टटैग जरूरी, जानें सभी महत्वपूर्ण तथ्य
TheEdusarthi.com टेलीग्राम पर भी उपलब्ध है। यहां क्लिक करके आप सब्सक्राइब कर सकते हैं। Subscribe to Notifications