पुर्तगाल की संसद ने यूथेनेशिया यानी इच्छामृत्यु को कानूनी मान्यता देने वाला बिल पास कर दिया है। इसके पक्ष में 136 और विरोध में 78 वोट डाले गए। अब यह बिल मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। उनके दस्तखत करने के बाद यह कानून बन जाएगा। इसके साथ ही पुर्तगाल इच्छामृत्यु को वैध करने वाला यूरोप का चौथा और दुनिया का 7वां देश बन जाएगा।
कैथोलिक धर्म को मानने वालों ने संसद के इस कदम का विरोध किया है। कैथोलिक पुर्तगाल का सबसे बड़ा धर्म है। इसके अलावा, 12 प्राइवेट हेल्थ केयर इंस्टीट्यूट ने भी राष्ट्रपति से इच्छामृत्यु को रोकने के लिए दखल देने की अपील की है।
भारत में भी इच्छामृत्यु की मांग उठती रही है। सुप्रीम कोर्ट ने 42 साल तक कोमा में रहीं नर्स अरुणा शानबाग के मामले की सुनवाई करते हुए सीधे तौर पर इच्छामृत्यु देने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा कि हर व्यक्ति को गरिमा के साथ मरने का अधिकार है। इसके लिए पैसिव यूथेनेशिया शब्द का इस्तेमाल किया गया। इसका मतलब है किसी बीमार शख्स का इलाज रोक देना, ताकि उसकी मौत हो जाए। अरुणा की एक सहेली ने 2011 में उनके लिए इच्छामृत्यु की मांग की थी। बाद में अरुणा की मौत हो गई थी।
नीदरलैंड्स, बेल्जियम, कोलंबिया, लग्जमबर्ग, पश्चिम ऑस्ट्रेलिया और कनाडा में एक्टिव यूथेनेशिया को कानूनी मान्यता मिली हुई है। 2016 में कनाडा ने इच्छामृत्यु की इजाजत दी थी।
TheEdusarthi.com टेलीग्राम पर भी उपलब्ध है। यहां क्लिक करके आप सब्सक्राइब कर सकते हैं। Subscribe to Notifications