वर्ष 1949 में आज ही के दिन भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा का जन्म पंजाब में हुआ था। जुलाई 1966 में उनका नेशनल डिफेंस एकेडमी में चयन हुआ। 21 वर्ष की उम्र में वे भारतीय वायुसेना में अफसर बने। वायुसेना ने इन्हें सुपरसोनिक लड़ाकू विमान की कमान सौंपी। पाकिस्तान के साथ 1971 की जंग में उन्होंने 21 बार उड़ान भरी थी और उस वक्त वो 23 साल के भी नहीं हुए थे। राकेश शर्मा जब 25 साल के थे, तभी एयरफोर्स के सबसे बेहतरीन पायलट बन गए थे।
उनकी उम्र जब 35 साल थी, तब वो अंतरिक्ष में गए थे। अंतरिक्ष में जाने वाले राकेश शर्मा 128वें इंसान थे और पहले भारतीय थे। राकेश शर्मा को 50 फाइटर पायलटों के टेस्ट के बाद चुना गया था। उनके अलावा रवीश मल्होत्रा को भी चुना गया था और दोनों को रूस में ट्रेनिंग के लिए भेजा गया था। हालांकि, रवीश मल्होत्रा बैकअप के तौर पर थे। इसरो और सोवियत संघ के ज्वॉइंट मिशन के तहत राकेश शर्मा ने 3 अप्रैल 1984 को सोयूज टी-11 से अंतरिक्ष यात्रा शुरू की थी। अंतरिक्ष में उन्होंने 7 दिन 21 घंटे और 40 मिनट बिताए थे।
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अंतरिक्ष से सोयूज टी-11 की क्रू के साथ ज्वॉइंट कॉन्फ्रेंस के जरिए देश ने पहली बार अंतरिक्ष में मौजूद अपने नागरिक के साथ बात की थी। उस समय की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राकेश शर्मा ने पूछा था कि अंतरिक्ष से भारत कैसा दिखता है? उन्होंने हिंदी में जवाब दिया था- सारे जहां से अच्छा।
अंतरिक्ष से लौटने के बाद राकेश शर्मा ने फिर से जेट पायलट के तौर पर अपनी जिंदगी शुरू की। उन्होंने जगुआर जैसे लड़ाकू विमान उड़ाए। राकेश शर्मा को हीरो ऑफ द सोवियत यूनियन अवॉर्ड से भी नवाजा गया है। वो इकलौते भारतीय हैं, जिन्हें ये सम्मान मिला है। इसके साथ ही उन्हें अशोक चक्र से भी सम्मानित किया गया है।
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