किसी भी व्यक्ति की आमदनी पर केंद्र सरकार कर वसूलती है, इसे ही आयकर या इनकम टैक्स कहा जाता है। वर्ष में एक बार व्यक्ति को एक आईटीआर फॉर्म में सरकार को आमदनी, खर्च, निवेश और टैक्स देनदारी के बारे में ब्यौरा देना होता है इसे आयकर रिटर्न (इनकम टैक्स रिटर्न) कहा जाता है। आयकर से होने वाली कमाई को सरकार अपनी गतिविधियों और जनता को सुविधा और सेवाएं देने के लिए इस्तेमाल करती हैं। आयकर रिटर्न वास्तव में आपकी आमदनी और खर्च का लिखित हिसाब-किताब है। केंद्र सरकार को विस्तार से यह जानकारी देते हैं कि उस वित्त वर्ष में आपने अपनी नौकरी, कारोबार या पेशे से कितनी रकम कमाई।
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इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 234F में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इस सेक्शन के तहत, आईटीआर फाइल नहीं करने पर दो टियर में लेट फीस वसूलने का प्रावधान है।
आयकर विभाग के मौजूदा नियमों के हिसाब से अगर आपकी करयोग्य आमदनी सालाना 2.5 लाख रुपये से कम है, तो आपके लिए आईटीआर भरना जरूरी नहीं है। ऐसे में भी जीरो आईटीआर भर सकते हैं। जीरो आईटीआर का मतलब यह है कि आप सरकार को टैक्स तो नहीं चुकाते, लेकिन अपनी आमदनी और खर्च की जानकारी देते हैं।
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आयकर रिटर्न भरना और इनकम टैक्स जमा कराने में अंतर होता है। कोई व्यक्ति अगर करयोग्य आमदनी के दायरे में नहीं है, तब भी वह आयकर रिटर्न भर सकता है। जबकि आयकर उस दायरे में आना वाला व्यक्ति ही जमा करता है।
आयकर विभाग के अनुसार, ’27 दिसंबर 2020 तक एसेसमेंट ईयर 2020-21 के लिए 4.23 करोड़ इनकम टैक्स रिटर्न फाइल किए जा चुके हैं। रविवार को दोपहर 12 बजे तक 1,46,812 इनकम टैक्स रिटर्न फाइल किए जा चुके हैं। 26 दिसंबर तक एसेसमेंट 2020-21 के लिए 4.15 करोड़ इनकम टैक्स रिटर्न फाइल किया जा चुका है। इसमें 2.34 टैक्सपेयर्स ने आईटीआर-1, 89.89 लाख आईटीआर-4, 49.72 लाख आईटीआर-3 और 30.36 लाख आईटीआर-2 फाइल किए गए।
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2.5 लाख रुपये तक की आय पहले की तरह ही कर मुक्त रहेगी और 2.5 से 5 लाख रुपये तक की आय वाले करदाताओं को 5 फीसद टैक्स देना होगा। 5 से 7.5 लाख रुपये की सालाना इनकम पर 10 फीसद टैक्स का भुगतान करना होगा। 7.5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये की कमाई पर 15 फीसदी टैक्स देना होगा। 10 लाख रुपये से 12.5 लाख रुपये तक की सालाना आय पर नई टैक्स व्यवस्था के तहत 20 फीसद कर का भुगतान करना होगा।
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