अटल बिहारी वाजपेयी भारत की राजनीति की आकाशगंगा में 5 दशकों तक चमकते रहें। भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी का आज जन्मदिन है, इनके जन्मदिन को भारत सरकार द्वारा सुशासन दिवस के रूप में मनाया जाता है। 16 अगस्त 2018 को दिल्ली में उनका निधन हो गया थ।
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म ऋषि गालव की तपोभूमि ग्वालियर में 25 दिसंबर 1924 में हुआ था। 1942 में 18 साल की आयु में वे स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुए। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान वाजपेयी 23 दिनों के लिए जेल गए। 1947 में जब देश आजाद हुआ तो वाजपेयी उस दौरान कानपुर के डीएवी कॉलेज में एमए-राजनीति विज्ञान की पढ़ाई कर रहे थे। पढ़ाई के दौरान ही युवा अटल आरएसएस के संपर्क में आए और राजनीति से जुड़ गए। 1957 में अटल बिहारी वाजपेयी जनसंघ के टिकट पर पहला चुनाव लड़े। तब ये मात्र 33 वर्ष के थे।
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इन दलों की क्षेत्रीय अस्मिताएं थीं, भाषा से जुड़े मुद्दे थे, नदियों के जल बंटवारे को लेकर विवाद था लेकिन अटल नाम के विशाल ‘वटवृक्ष’ के नीचे सारी पार्टियां, सारी विचारधाराएं एक रही। वाजपेयी के व्यक्तित्व करिश्मे ने ‘फेविकोल’ का काम किया और इस सरकार ने अपना कार्यकाल पूरा किया। वे गठबंधन की सरकार को 5 साल तक चलाने वाले पहले पीएम रहे। ये ऐसे राजनीतिज्ञ एवं प्रशासक थे जिनकी लोकप्रियता ने पार्टी, विचारधारा और देश की सीमाओं को पार कर लिया था। वाजपेयी का विरोध करते वक्त भी विपक्षी उनकी सच्चरित्रता, नैतिक पूंजी, स्वच्छ छवि का अतिक्रमण नहीं कर पाते थे। मोरारजी देसाई की सरकार में ये विदेश मन्त्री रहे और विदेशों में भारत की छवि बनायी। संयुक्त राष्ट्र में हिन्दी में भाषण देने वाले ये पहले राजनेता थे। 2004 के आम चनुाव में भाजपा ने भारत उदय अर्थात इंडिया शाइनिंग का नारा दिया था।
अटल बिहारी वाजपेयी की जिंदगी के किस्से ‘आदर्श राजनीति, लोकप्रिय नेता, सह्रदय कवि’ के रूप में आज भी कही और सुनी—सुनाई जाती है। पर चर्चा के दौरान जिक्र किए जाते हैं। इस वक्त जब देश में जनादेश एक पार्टी को मिला हैं। 1999 में बतौर प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने वैसे गठबंधन का नेतृत्व किया जिसमें 24 पार्टियां थीं और 81 मंत्री थे। जो एक तरह से असंभव सा लगता था।
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1957 में जनसंघ के टिकट पर अटल बिहारी वाजपेयी ने 3 सीटों से चुनाव लड़ा था, ये सीटें थी उत्तर प्रदेश की मथुरा, बलरामपुर और लखनऊ। ये बलरामपुर सीट से चुनाव जीत गए। 1952 में देश में पहला चुनाव हुआ था। जनसंघ का चुनाव चिह्न दीपक था। इस चुनाव में वाजपेयी को 1 लाख 18 हजार 380 वोट मिले, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के हैदर हुसैन को 1 लाख 8 हजार 568 वोट मिले। इस तरह वाजपेयी लगभग 8 हजार वोटों से चुनाव जीते।
अटल सरकार ने 11 और 13 मई 1998 को पोखरण में पाँच भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोट करके भारत को परमाणु शक्ति संपन्न देश घोषित कर दिया। इस कदम से उन्होंने भारत को निर्विवाद रूप से विश्व मानचित्र पर एक सुदृढ वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित कर दिया। यह सब इतनी गोपनीयता से किया गया कि अति विकसित जासूसी उपग्रहों व तकनीक से संपन्न पश्चिमी देशों को इसकी भनक तक नहीं लगी। यही नहीं इसके बाद पश्चिमी देशों द्वारा भारत पर अनेक प्रतिबंध लगाए गए लेकिन वाजपेयी सरकार ने सबका दृढ़तापूर्वक सामना करते हुए आर्थिक विकास की ऊँचाईयों को छुआ।
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कुछ ही समय पश्चात पाकिस्तान के तत्कालीन सेना प्रमुख परवेज़ मुशर्रफ की शह पर पाकिस्तानी सेना व उग्रवादियों ने कारगिल क्षेत्र में घुसपैठ करके कई पहाड़ी चोटियों पर कब्जा कर लिया। अटल सरकार ने पाकिस्तान की सीमा का उल्लंघन न करने की अंतरराष्ट्रीय सलाह का सम्मान करते हुए धैर्यपूर्वक किंतु ठोस कार्यवाही करके भारतीय क्षेत्र को मुक्त कराया।
भारत के चारों कोनों को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना (अंग्रेजी में- गोल्डन क्वाड्रिलेट्रल प्रोजैक्ट) की शुरुआत की गई। इसके अंतर्गत दिल्ली, कलकत्ता, चेन्नई व मुम्बई को राजमार्गों से जोड़ा गया। ऐसा माना जाता है कि अटल जी के शासनकाल में भारत में जितनी सड़कों का निर्माण हुआ इतना केवल शेरशाह सूरी के समय में ही हुआ था।
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उनका समाधि स्थल राजघाट के पास शान्ति वन में बने स्मृति स्थल में बनाया गया है। इनके निधन पर भारत भर में सात दिन के राजकीय शोक की घोषणा की गयी। अटल जी की अस्थियों को देश की सभी प्रमुख नदियों में विसर्जित किया गया था।
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1992: पद्म विभूषण
1994: लोकमान्य तिलक पुरस्कार
1994: श्रेष्ठ सासंद पुरस्कार
1994: भारत रत्न पंडित गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार
2015 : ‘फ्रेंड्स ऑफ बांग्लादेश लिबरेशन वार अवॉर्ड’, (बांग्लादेश सरकार द्वारा प्रदत्त)
2015 : भारतरत्न से सम्मानित
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