गुजरात के सौराष्ट्र में स्थित सोमनाथ मंदिर के 1400 कलशों को सोने से मढ़ने का काम किया जा रहा है। यह कार्य 2021 के अंत तक पूरा कर लिया जाएगा। सोने से मढ़ाई का यह कार्य सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट कर रहा है। यह वेरावल बंदरगाह में स्थित है।
गुजरात के सौराष्ट्र में स्थित सोमनाथ मंदिर को भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से सबसे पहला मंदिर माना जाता है। ऋग्वेद के मुताबिक, सोमनाथ मंदिर का निर्माण चंद्रदेव ने किया था।
इतिहासकारों के मुताबिक, सोमनाथ मंदिर को वर्ष 1024 ई. में महमूद गजनवी ने तहस-नहस कर दिया था। इस मंदिर की मूर्ति को तोड़ने से लेकर यहां पर चढ़े सोने और चांदी तक के सभी आभूषणों को लूट लिया था। हीरे और जवाहरातों को लूटकर अपने देश गजनी लेकर चला गया था। महमूद गजनवी के बाद कई मुगल शासकों ने सोमनाथ को खंडित कर लूटपाट की। इसे 17 बार नष्ट किया गया और हर बार इसका पुनर्निर्माण किया गया था। यहां मंदिर के अलावा सोमनाथ बीच, त्रिवेणी संगम मंदिर, पांच पांडव गुफा, सूरज मंदिर इत्यादि बनवाएं गए है।
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सोमनाथ मंदिर वर्तमान स्वरूप का पुनर्निर्माण का आरंभ भारत की स्वतंत्रता के बाद लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल ने करवाया और पहली दिसंबर 1955 को भारत के राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद जी ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया। सोमनाथ मंदिर विश्व प्रसिद्ध धार्मिक व पर्यटन स्थल है। मंदिर प्रांगण में रात साढ़े सात से साढ़े आठ बजे तक एक घंटे का साउंड एंड लाइट शो चलता है, जिसमें सोमनाथ मंदिर के इतिहास का बड़ा ही सुंदर सचित्र वर्णन किया जाता है।
जवाहरलाल नेहरू ने सोमनाथ मन्दिर के पुनर्निर्माण के प्रस्ताव का ‘हिन्दू पुनरुत्थानवाद’ कहकर विरोध भी किया। उस समय नेहरू से हुई बहस को कन्हैयालाल मुंशी ने अपनी पुस्तक ‘पिलग्रिमेज टू फ्रीडम’ में दर्ज किया है। वे लिखते हैं- … कैबिनेट की बैठक के अंत में जवाहरलाल ने मुझे बुलाकर कहा—मुझे सोमनाथ के पुनरुद्धार के लिए किया जा रहा आपका प्रयास पंसद नहीं आ रहा। यह हिंदू पुनरुत्थानवाद है। ‘मैंने जवाब दिया कि मैं घर जाकर, जो कुछ भी घटित हुआ है उसके बारे में आपको जानकारी दूंगा।
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