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Shanti Niketan : विश्‍वभारती विश्‍वविद्यालय शांति निकेतन का शताब्‍दी समारोह आज, जानें विस्तार से

Vishwabharati University Shanti Niketan's theedusarthi

विश्वभारती विश्वविद्यालय की स्थापना 1921 में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने पश्चिम बंगाल के शान्तिनिकेतन नगर में की। यह भारत के केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में से एक है। अनेक स्नातक और परास्नातक संस्थान इससे संबद्ध हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी आज विश्‍व-भारती विश्‍वविद्यालय शांति निकेतन के शताब्‍दी समारोह को वीडियो कॉन्‍फ्रेंसिंग के माध्‍यम से सम्‍बोधित किये। प्रधानमंत्री इस विश्‍वविद्यालय के कुलाधिपति हैं। पश्चिम बंगाल के राज्‍यपाल जगदीप धनखड़ और केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक भी इस अवसर पर उपस्थित रहेंगे विश्‍व-भारती की स्‍थापना 1921 में गुरूदेव रवीन्‍द्रनाथ टैगोर ने की थी। मई 1951 में संसद के अधिनियम से इसे केंद्रीय विश्‍वविद्यालय और राष्‍ट्रीय महत्‍व का संस्‍थान घोषित किया गया।

गुरूदेव ने महान उद्देश्‍य

गुरूदेव ने महान उद्देश्‍य से इस विश्‍वविद्यालय की स्‍थापना की थी। उन्‍होंने कहा था कि विश्‍व-भारती उस भारत का प्रतिनिधित्‍व करता है, जहां ज्ञान की पूंजी हर एक के कल्‍याण के लिए है। विश्‍व-भारती विश्‍वविद्यालय दुनियाभर में भारत की महान संस्‍कृति साझा करता है और दुनिया से सर्वोत्‍तम मूल्‍य ग्रहण करने को तैयार रहता है। यह विश्‍वविद्यालय गुरूदेव रवीन्‍द्रनाथ टैगोर की बताई गई शिक्षा पद्धति का पालन करता है।

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पीएम मोदी के संबोधन की मुख्य बातें

  • भारत पूरे विश्व में इकलौता बड़ा देश है जो पेरिस अकॉर्ड के पर्यावरण के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए सही मार्ग पर तेजी से आगे बढ़ रहा है।
  • जब हम स्वतंत्रता संग्राम की बात करते हैं तो हमारे मन में सीधे 19-20वीं सदी का विचार आता है। लेकिन ये भी एक तथ्य है कि इन आंदोलनों की नींव बहुत पहले रखी गई थी।
  • भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक एकता को भक्ति आंदोलन ने मजबूत करने का काम किया था  हिंदुस्तान के हर क्षेत्र, पूर्व-पश्चिम-उत्तर-दक्षिण, हर दिशा में हमारे संतों ने, महंतों ने, आचार्यों ने देश की चेतना को जागृत रखने का प्रयास किया।
  • भक्ति आंदोलन से हम एकजुट हुए, ज्ञान आंदोलन बौद्धिक मजबूती दी और कर्म आंदोलन ने हमें अपनी लड़ाई का हौसला और साहस दिया सैकड़ों सालों के कालखंड में चले ये आंदोलन त्याग, तपस्या और तर्पण की अनूठी मिसाल बन गए थे।
  • वेद से विवेकानंद तक भारत के चिंतन की धारा गुरुदेव के राष्ट्रवाद के चिंतन में भी मुखर थी और ये धारा अंतर्मुखी नहीं थी। वो भारत को विश्व के अन्य देशों से अलग रखने वाली नहीं थी। उनका विजन था कि जो भारत में सर्वश्रेष्ठ है, उससे विश्व को लाभ हो और जो दुनिया में अच्छा है, भारत उससे भी सीखे।
  • विश्व भारती के लिए गुरुदेव का विजन आत्मनिर्भर भारत का भी सार है।
  • आत्मनिर्भर भारत अभियान भी विश्व कल्याण के लिए भारत के कल्याण का मार्ग है।
  • ये अभियान, भारत को सशक्त करने का अभियान है, भारत की समृद्धि से विश्व में समृद्धि लाने का अभियान हैं

विश्व भारती की विशेषताएँ

  1. स्वयं गुरुदेव रवीन्द्र ने विश्व भारती की विशेषता का उल्लेख इन शब्दों में किया -“विश्व भारती भारत का प्रतिनिधित्व करती है। यहाँ भारत की बौद्धिक सम्पदा सभी के लिए उपलब्ध है। अपनी संस्कृति के श्रेष्ठ तत्व दूसरों को देने में और दूसरों की संस्कृति के श्रेष्ठ तत्व अपनाने में भारत सदा से उदार रहा है। विश्व भारती भारत की इस महत्वपूर्ण परम्परा को स्वीकार करती है।”
  2. कोई छात्र किसी एक विभाग में प्रवेश पाने के पश्चात् किसी दूसरे विभाग में भी बिना कोई अतिरिक्त शुल्क दिए शिक्षा प्राप्त कर सकता है।
  3. विदेशी छात्रों को नियमित छात्र के रूप में या अस्थाई छात्र के रूप में भी प्रवेश दिया जा सकता है।
  4. ड्राइंग, पेंटिंग, मूर्ति कला, चर्म कार्य, कढ़ाई, नृत्य, संगीत आदि ललित कलाओं में तथा चीनी और जापानी भाषाओं में शान्ति निकेतन ने विशेष ख्याति प्राप्त की है। इन क्षेत्रों में शान्ति निकेतन का योगदान विशिष्ट है।
  5. खुले मैदानों में या वृक्षों के नीचे प्रकृति के सान्निध्य में और स्वतंत्र वातावरण में शिक्षा दी जाती है।

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एक नजर में

  • आज 24 दिसंबर को शांति निकेतन के 100 वर्ष पूरे हो गए है।
  • पश्चिम बंगाल स्थित विश्वभारती विश्वविद्यालय शांतिनिकेतन के शताब्दी समारोह के मौके पर आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित किए।
  • विश्‍व-भारती विश्‍वविद्यालय के कुलाधिपति पीएम मोदी है।
  • विश्वविद्यालय का पुस्तकालय बहुत प्रसिद्ध है जहाँ लगभग दो लाख पुस्तकों का संग्रह है।
  • रविन्द्रनाथ टैगोर को गुरूदेव की उपाधि दी गई है।
  • भारत का राष्ट्रगान जन—गण—मन इन्ही की पुस्तक गीतांजली से ली गई है।
  • गीतांजली एक काव्य संग्रह है जिसके लिए इन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

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