भारत के पांचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती के मौके पर हर वर्ष 23 दिसबंर को राष्ट्रीय किसान दिवस मनाया जाता है। इन्होंने अपने कार्यकाल में कृषि क्षेत्र के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और किसानों के हित के लिए कई किसान-हितैषी नीतियों का मसौदा तैयार किया। वर्ष 2001 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने चौधरी चरण सिंह के जन्मदिन को किसान दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया।
किसान दिवस समारोह लोगों को किसानों के सामने आने वाले विभिन्न मुद्दों के बारे में शिक्षित करने का काम करता है। ऐसा भी कहा जाता है कि चौधरी चरण सिंह ने सर छोटू राम की विरासत को आगे बढ़ाया, उन्होंने 23 दिसंबर 1978 को किसान ट्रस्ट भी बनाया, ताकि देश में किसानों के मुद्दों के बारे में जागरूकता फैलाई जा सके। उन्होंने छोटे और सीमांत किसानों के मुद्दों को सबसे आगे लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह हमेशा किसानों के अधिकारों के लिए लड़े और खड़े रहे।
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23 दिसम्बर,1902 को बाबूगढ़ छावनी के निकट नूरपुर गांव, तहसील हापुड़, जनपद गाजियाबाद में हुआ था। आगरा विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की थी। लेखापाल के पद का सृजन इन्हीं के द्वारा किया गया था। भी किया। किसानों के हित में उन्होंने 1954 में उत्तर प्रदेश भूमि संरक्षण कानून को पारित कराया। वो 3 अप्रैल 1967 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। 17 अप्रैल 1968 को उन्होंने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। मध्यावधि चुनाव में उन्होंने अच्छी सफलता मिली और फिर 17 फ़रवरी 1970 को वे मुख्यमंत्री बने। उसके बाद वो केन्द्र सरकार में गृहमंत्री बने तो उन्होंने मंडल और अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना की। 1979 में वित्त मंत्री और उपप्रधानमंत्री के रूप में राष्ट्रीय कृषि व ग्रामीण विकास बैंक की स्थापना की 28 जुलाई 1979 को चौधरी चरण सिंह समाजवादी पार्टियों तथा कांग्रेस (यू) के सहयोग से प्रधानमंत्री बने।
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