इजरायल भारत का एक अहम मित्र देश है, यह भारत को हथियार एवं तकनीक के मामले में हमेशा सहयोग करता है। यह एक छोटा देश होने के बावजूद रक्षा, सुरक्षा, तकनीक, कृषि हर मामले में बेहतर है। इजराइल में एक बार फिर से सियासी संकट खड़ा हो गया है। बजट पारित करने की समय सीमा को पूरा करने में असफल रहने के बाद बेंजामिन नेतन्याहू की सरकार गिर गई है।
दरअसल, बजट समझौते को लेकर मंगलवार को कोई समझौत नहीं बन पाया, जिसके बाद गठबंधन वाली बेंजामिन सरकार की दो प्रमुख पार्टियों के बीच बातचीत विफल हो गई। जिसके बाद अब एक बार फिर से आम चुनाव होगा। ऐसी स्थिति में मात्र 2 साल में इजराइल में यह चौथा आम चुनाव होगा। खबरों के अनुसार, अब यह चुनाव अगले साल 23 मार्च को होगा।
इस साल की शुरुआत में तीन अनिर्णायक चुनावों के बाद गैंट्ज़ ने अप्रैल में नेतन्याहू के साथ गठबंधन के लिए सहमति व्यक्त की थी, जिसके बाद गठबंधन की सरकार बनी थी। सरकार बनने से पहले ऐसा समझौता था कि दोनों मिलकर सत्ता चलाएंगे। पहले नेतन्याहू प्रधानमंत्री बनेंगे फिर 18 महीने बाद गैंट्स बनेंगे।
इज़राइल दक्षिण पश्चिम एशिया में स्थित एक छोटा लेकिन ताकतवर देश है। यह दक्षिणपूर्व भूमध्य सागर के पूर्वी तट पर स्थित है। इसके उत्तर में लेबनॉन, पूर्व में सीरिया और जॉर्डन तथा दक्षिण-पश्चिम में मिस्र देश स्थित है।
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इजरायल शब्द का प्रयोग बाईबल और उससे पहले से होता रहा है। बाईबल के अनुसार, ईश्वर के फ़रिश्ते के साथ युद्ध लड़ने के बाद जैकब का नाम इजरायल रखा गया था। इस शब्द का प्रयोग उसी समय से यहूदियों की भूमि के लिए किया जाता रहा है। इसे यहूदियों का मूल निवास माना जाता है। वर्ष 1948 में आधुनिक इजरायल की स्थापना हुई थी। यरूशलम इसकी राजधानी है। तेल अवीव इसका प्रमुख शहर है। इजरायल की मुख्य भाषा हिब्रू है, जो दाहिने से बाँए लिखी जाती है।
इज़रायल एक प्रभुसत्तासंपन्न गणराज्य है जिसकी स्थापना 14 मई 1948 ई. के घोषणा के आधार पर हुई है। 1949 ई. में इज़रायली संसद् ने संक्रमण कानून पारित किया जो समान्य शब्दावली के माध्यम से संसद्, राष्ट्रपति तथा मंत्रिमंडल के अधिकारों की व्याख्या करता है। 1950 ई. में संसद ने समय-समय पर मूल नियमों को अधिनियमित करने का प्रस्ताव पारित किया। ये ही अधिनियमित मूल नियम समग्र रूप में इज़रायल के संविधान के नियामक हैं। संसद्, इज़रायली राष्ट्र तथा राष्ट्रपति से संबद्ध इन मूल नियमों को क्रमश: 1958, 1960, तथा 1964 ई. में पारित किया गया।
इज़रायली संसद् को सर्वोच्च अधिकार प्राप्त हैं और 120 सदस्यों वाली इस एक सदनी संसद् का चुनाव मताधिकार के आधार पर अनुपाती-प्रतिनिधित्व-पद्धति से प्रति चार वर्ष के लिए कराया जाता है। राष्ट्रपति राष्ट्राध्यक्ष होता है और संसद् पाँच वर्ष के लिए इसका चुनाव करती है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में गठित मंत्रिमंडल संसद् के प्रति उत्तरदायी होता है। मंत्री सामान्यत: संसद् सदस्यों में से ही बनाए जाता हैं लेकिन इनकी नियुक्ति सदस्येतर व्यक्तियों में से भी की जा सती है। पूरा देश छह मंडलों में बटां हुआ है। संसदीय निर्वाचन के साथ-साथ स्थानीय अधिकारियों का चुनाव भी संपन्न होता है जिनका कार्यकाल चार वर्ष तक रहता है। 27 नगरपालिकाएँ (दो अरबों की), 117 स्थानीय परिषदें (45 अरबों तथा सीरियाई देशों की) तथा 47 क्षेत्रीय परिषदें (एक अरबों की) 674 गाँवों का प्रतिनिधित्व करती हैं।
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