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Bitcoin : जानें डिजिटल मुद्रा बिटक्वायन के बारे में

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बिटकाइन पहली विकेन्द्रीकृत डिजिटल मुद्रा है जिसका अर्थ है की यह किसी केंद्रीय बैंक द्वारा नहीं संचालित होती। कंप्यूटर नेटवर्किंग पर आधारित भुगतान हेतु इसे निर्मित किया गया है। इसका विकास सातोशी नकामोतो नामक एक अभियंता ने किया है। सातोशी का यह छद्म नाम है बिटक्वायन कंप्यूटर या मोबाइल फोन पर एक बटुए की तरह काम करता है। असल में यह ईमेल की तरह होता है अंतर केवल इतना होता है कि पता इसका पता एक ही बार इस्तेमाल किया जा सकता है। इसमें ब्लॉक चेन का एक रूप होता है जिसे सार्वजनिक साझा बही खाता कहा जाता है जिस पर पूरा बिटक्वायन नेटवर्क निर्भर करता है।

लेन – देन बिटक्वायन बटुओं के बीच मूल्य का हस्तांतरण होता हैं, जो ब्लॉक चेन में शामिल होते हैं। यह बटुआ गुप्त डेटा रखता है जो निजी कुंजी या बीज कहलाता है जो लेनदेन पर हस्ताक्षर करने के लिए प्रयोग में लाया जाता है, इस बात का प्रमाण देते हुए कि यह मालिक के बटुए से आए हैं। हस्ताक्षर एक बार जारी किए जाने के बाद लेन – देन, किसी के द्वारा परिवर्तित किए जाने से रोकता है। सभी लेनदेन उपयोगकर्ताओं के बीच प्रसारित किए जाते हैं और 10 मिनट में अंदर नेटवर्क द्वारा पुष्टि शुरू होती है, उस प्रक्रिया के माध्यम से जिसे मायनिंग कहते हैं।

मायनिंग/खनन वितरित अनुकूलता प्रणाली को कहते हैं जो रुके हुए लेनदेन के पुष्टि ब्लॉक चेन में उन्हें शामिल करके करता है। यह ब्लॉक चेन में क्रमिक आदेश लागू करता है, नेटवर्क की तटस्थता की रक्षा करता है, और विभिन्न कंप्यूटर को प्रणाली पर सहमती देने की अनुमति देता है।

बिटकॉइन का मूल्य

बिटकॉइन का मूल्य कई चीजों पर निर्भर करता है। उनमें से दो सबसे मह्तवपूर्ण चीजें आपूर्ति और मांग है। बिटकॉइन सीमित संख्या में पाया जाता है। 21000000 बिटक्वायन ही माइन किया जा सकता है। ऐसे में अगर आपूर्ति से कम मांग हो तो बिटकॉइन का मूल्य घटता है और उल्टा होने पर इसका मूल्य बढ़ता है। भारत में बिटकॉइन का मूल्य सबसे अधिक 14,09,493 रु था।

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बिटक्वायन से कैसे होता है पेमेंट

इसमें मोबाइल पर साधारण दो कदम स्कैन-और-पे के साथ भुगतान करने की अनुमति देता है। साइन अप, कार्ड स्वाइप या PIN दर्ज करने की कोई ज़रूरत नहीं होती। बिटक्वायन भुगतान प्राप्त करने के लिए केवल अपने बिटक्वायन बटुआ एप्लिकेशन में QR कोड दर्ज करना और जिसे भेजना होता है उसके मोबाइल को स्कैन करना होता है।

सुविधाएं

बिटक्वायन के अनुसार, वह हर समय काम कर सकता है। इससे 10 मिनट में विश्व में कही भी पैसा यानि बिटक्वायन स्थानांतरित किया जा सकता है। प्रक्रिया को धीमा करने के लिए कोई बैंक, भारी फीस या स्थानांतरण फ्रीज नहीं है। जिस तरह आप किसी दूसरे देश में अपने परिवार के सदस्य को भुगतान करते हैं उसी तरह आप अपने पड़ोसीयों को भी कर सकते हैं। यह बहुत कम कीमत पर भुगतान भेजने और प्राप्त करने की अनुमति देता है। लेकिन विशेष मामलों में जैसे की बहुत कम रकम पर, कुछ शुल्क लागु होता है। इस पर कोई क्रेडिट कार्ड नंबर नहीं होता जो फरेबी इंसान आपका रुप लेकर इस्तेमाल कर सके।

आम डेबिट /क्रेडिट कार्ड से भुगतान करने में लगभग दो से तीन प्रतिशत लेनदेन शुल्क लगता है, लेकिन बिटकॉइन में ऐसा कुछ नहीं होता है। इसके लेनदेन में कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लगता है, इस वजह से भी यह लोकप्रिय होता जा रहा है। पैसे लेने के लिए हम लोग बैंक और कई कंपनी का सहारा लेते हैं यह सभी कंपनियां हमारे भेजे हुए पैसे को हमारे लोगों तक पहुचाने के लिए अतिरिक्त राशि लेती है और हमें उन पर भरोसा करना पड़ता है। वेस्टर्न यूनियन, मनी ग्राम और उन जैसी दूसरी कंपनियां की मदद चाहिए होती है मगर इस सुविधा को प्राप्त करने के लिए कोई मंजूरी भी लेनी नहीं पड़ती है।

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भारत की चेतावनी

भारत के केन्द्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 24 दिसम्बर 2013 को बिटकॉइन जैसी वर्चुअल मुद्राओं के सम्बन्ध में एक प्रेस विज्ञप्ती जारी की गयी जिसके अनुसार, इन मुद्राओं के लेन-देन को कोई अधिकारिक अनुमति नहीं दी गयी है और इसका लेन-देन करने में कईं स्तर पर जोखिम है। हाल ही में बिटकॉइनपर आर बी आई द्वारा लगाई गई रोक सुप्रीम कोर्ट की तरफ से हटाई गई है। बिटकॉइन की लेन-देन के लिए इंडिया में वज़ीर इक्स नामक एक्सचेंज मौजूद है।

आलोचना इस आधार पर

कई अर्थशास्त्रियों द्वारा बिटकॉइन को पोंज़ी स्कीम घोषित करते हुए कहा जाता है कि बिटकॉइन की माइनिंग में उपयोग होने वाली बिजली बहुत ज्यादा होती है। एक बिटकॉइन के संचालन सौदे में लगभग 300 kwh बिजली लगती है।

एक नजर में

  • बिटक्वायन एक तरह की डिजिटल मुद्रा है।
  • बिटक्वायन की सबसे छोटी संख्या को सातोशी कहा जाता है।
  • एक बिटकॉइन में 10 करोड़ सातोशी होते हैं। अर्थात 0.00000001 BTC को एक सातोशी कहा जाता है।
  • इसका आविष्कार सातोशी नकामोतो नामक एक अभियंता ने 2008 में किया था और 2009 में ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर के रूप में इसे जारी किया गया था।
  • बिटक्वायन बिटक्वायन माइनिंग की सफलता का ट्रांजैक्शन प्रोसेस करने पर जो पुरस्कार मिलता है वह बिटक्वायन होता है।

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