आउट ऑफ टर्न प्रमोशन प्रक्रिया के तहत विभाग के कर्मियों को उनके कार्य के आधार पर उनके वर्तमान पद से ऊंचा पद दिया जाता है। राज्यों की पुलिस, गृह मंत्रालय के तहत आने वाली एजेंसिया, रेलवे इत्यादि में भी कर्मचारियों को प्रोत्साहित करने के लिए यह सम्मान दिया जाता है।
सीमा ढाका ने 76 गुमशुदा बच्चों को ढूंढा था, जिसमें से 56 बच्चों की उम्र 14 वर्ष से कम है। यह बच्चे केवल दिल्ली के ही नहीं, पंजाब और पश्चिम बंगाल जैसे दूसरे राज्यों से भी हैं। दिल्ली पुलिस की महिला हेड कॉन्सटेबल सीमा ढाका ने इंसेंटिव स्कीम के तहत 3 महीनों के अंदर 76 गुमशुदा बच्चों को ढूंढ निकालने का सराहनीय कार्य किया है।
सीमा ढाका दिल्ली पुलिस में आउट आफ टर्म प्रमोशन पाने वाली पहली महिला पुलिस कर्मचारी हैं।
दिल्ली पुलिस के अनुसार, यह नई इंसेंटिव स्कीम 5 अगस्त से लागू है। इसमें कहा गया है कि पुलिसकर्मियों को उत्साहित करने के लिए यह स्कीम रखी गई है कि कोई भी कॉन्स्टेबल या हेड कॉन्स्टेबल 50 या इससे ज्यादा 14 साल से कम उम्र के गुमशुदा बच्चों को एक साल के भीतर ढूंढ लाएगा, उसे आउट ऑफ टर्न प्रमोशन दिया जाएगा।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2017 के एक आदेश में कहा है कि पुलिसकर्मियों को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन देना पुलिस महानिदेशक डीजीपी के क्षेत्राधिकार में है।
छत्तीसगढ़ पुलिस मुख्यालय में 2010 से 15 के बीच हुआ आउट ऑफ टर्न का घोटाला सामने आया था जिसके बाद निलंबित एडीजी मुकेश गुप्ता के करीबी पांच अफसरों और हवलदारों का डिमोशन कर दिया गया है।
खबरों के अनुसार, 2010 से 2015 के बीच निलंबित डीजी गुप्ता पुलिस मुख्यालय में बेहद प्रभावशाली थे। आईजी और एडीजी रहते हुए भी उनका प्रभाव इतना ज्यादा था कि उन्होंने अपने करीबी सिपाहियों को अफसर बनवा दिया था।
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