जल शक्ति मंत्रालय के अंतर्गत पेयजल और स्वच्छता विभाग आज स्वच्छ भारत मिशन- ग्रामीण के अंतर्गत विश्व शौचालय दिवस’ का आयोजन कर रहा है। यह दिन स्वच्छता के बारे में जागरूकता बढ़ाने और लोगों को शौचालय का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए मनाया जाता है। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के अनुसार, कुछ चुने हुए जिलों और राज्यों को स्वछता पुरस्कार से सम्मानित करेंगे। कोविड-19 परिदृश्य को देखते हुए इस वर्ष पुरस्कार समारोह का आयोजन ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से किया जा रहा है।
वर्ष 2020 की विश्व शौचालय दिवस की थीम या विषय ‘सस्टेनेबल सैनिटेशन एंड क्लाइमेट चेंज’ है। वर्ष 2016 में इसकी थीम या विषय ‘ टॉयलेट एंड जॉब’ था।
19 नवंबर 2001 को संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ल्ड टॉयलेट ऑर्गनाइजेशन की स्थापना की गई थी। इसी दिन वर्ल्ड टॉयलेट समिट का उद्घाटन भी हुआ था। वर्ष 2013 में सिंगापुर सरकार एवं वर्ल्ड टॉयलेट ऑर्गनाइजेशन द्वारा ’स्वच्छता सभी के लिए’ नामक प्रयास किया गया। इस प्रयास से लगभग 122 देश जुड़े और स्वच्छता और टॉयलेट हाइजीन के क्षेत्र में कार्य करने लगे। तभी से प्रतिवर्ष अलग- अलग थीम के साथ वर्ल्ड टॉयलेट डे का आयोजन किया जाता है।
विश्व शौचालय दिवस हर वर्ष 19 नवंबर को मनाया जाता है संयुक्त राष्ट्र के अनुसार विश्व की अनुमानि ढाई अरब आबादी को पर्याप्त स्वच्छता मयस्सर नहीं है और एक अरब वैश्विक आबादी खुले में सौच को मजबूर है उनमे से आधे से अधिक लोग भारत में रहते हैं नतीजन बीमारियां उत्पन्न होने के साथ साथ पर्यावरण दूषित होता इसलिए सरकार इस समस्या से उबरने के लिए स्वच्छ भारता अभियान चला रही है लेकिन एक सर्वे के अनुसार खुले में शौच जाना एक तरह की मानसिकता बनी हुई है इसके मुताबिक सार्वजनिक शौचालयोँ में नियमित रूप से जाने वाले तकरीबन आधे लोगो और खुले में शौच जाने वाले इतने ही लोगो का कहना है कि यह सुविधाजनक उपाय है। ऐसे में स्वच्छ भारत के लिए सोच में बदलाव की जरुर दिखती है।
दुनिया में हर तीन में से एक महिला को सुरक्षित शौचालय की सुविधा उपलब्ध नहीं है खुले में शौच के लिए विवस होने का कारण महिलाओ और बालिकाओ की निजता सम्मान और पर बुरा प्रभाव पड़ता है और उनके खिलाफ हिंसा तथा बलात्कार जैसी घटनाओ की आशंका बनी रहती है।
संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यो में सबको शुध्द पेयजल और स्वच्छता की सुविधा उलब्ध कराने का लक्ष्य भी है। लेकिन खराब आधारभूत ढांचे दूषित जल आपूर्ति और गंदगी के कारण प्रत्येक दिन एक हजार बच्चो मौत का शिकार होते हैं।
भारत की 2011 की जनगणना के अनुसार गांवो में 67 प्रतिशत और शहरो में 13 प्रतिशत परिवार खुले में शौच करते हैं। गैरसरकारी संगठन रिसर्च इंस्टीटीयूट ऑफ कंपेशनेट इकोनामिक्स के अनुसार, एक सदस्य नियमित रूप से खुले में शौच के लिए जाता है।
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