भारत और अमेरिका दुनिया की पहली ऐसी रडार इमेजिंग सैटेलाइट तैयार कर रहे है जो एक ही साथ दो फ्रीक्वेंसी का इस्तेमाल करेगी। इतना ही नहीं ये दुनिया की सबसे महंगी अर्थ इमेजिंग सैटेलाइट भी होगी। इस लिहाज से ये कई मायनों में खास भी होगी। इस संयुक्त मिशन के लिए देशों के बीच वर्ष 2014 में समझौता हुआ था।
यह सैटेलाइट रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट पर आधारित होगी, जो पृथ्वी की प्राकृतिक संरचनाओं और उनकी प्रकृति को समझने में सहायक साबित होगी। डेढ़ अरब डॉलर की लागत से बनने वाली इस सैटेलाइट से जाहिर तौर पर पहले के मुकाबले अधिक हाई रिजोल्यूशन वाली तस्वीरें हासिल की जा सकेंगी, जिनसे पृथ्वी के ऊपर मौजूद बर्फ के अनुपात के बारे में सही जानकारी मिलेगी। इससे धरती के पारिस्थितिकी तंत्र की गड़बड़ी, बर्फ की परत के ढहने, भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी और भूस्खलन जैसे प्राकृतिक खतरों को मापने के लिए तैयार किया गया है। साथ ही इस ग्रह की कुछ सबसे जटिल प्राकृतिक प्रक्रियाओं को देखने के लिए बनाया गया है।
किसी भी तरह की आपात स्थिति में जैसे सुनामी या भूकंप आने या फिर भूस्खलन होने की सूरत में इस सैटेलाइट से ताजा तस्वीरें कुछ ही देर में आसानी से ली जा सकेंगी। इससे मिली तस्वीरों से वैज्ञानिकों को पृथ्वी की जटिलता को समझने का मौका भी मिलेगा और वे आसानी से इस पर काम कर पाएंगे।
इसरो और नासा की रिपोर्ट के अनुसार, नासा एल बैंड सिंथेटिक अपरचर रडार, हाईरेट टेलीकम्युनिकेशन सब सिस्टम फॉर साइंटिफिक डेटा, जीपीसी रिसीवर, सॉलिड स्टेट रिकॉर्डर और पेलोड डेटा सब-सिस्टम उपलब्ध करवाएगी। वहीं इसरो सैटेलाइट बस, एस बैंड सिंथेटिक अपरचर रडार, लॉन्च व्हीकल और इससे जुड़ी सेवा उपलब्ध करवाएगी। इसमें लगा मैशन रिफ्लेक्टर एंटीना को नॉर्थरॉप ग्रुमन कंपनी मुहैया करवाएगी।
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