भारत के लौह पुरुष, सरदार बल्ल्भ भाई पटेल की 145वीं जयंती मनाई जा रही है। इसे देश में राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। रियासतों के विलय के बारे में बोलते हुए, सरदार पटेल ने कहा था कि रियासतों के सहयोग से ही भारत का एकीकरण संभव हो सका था।
राष्ट्रीय एकता दिवस का मुख्य समारोह देश की राजधानी दिल्ली में आयोजित होता है। राष्ट्रीय एकता दिवस के बारे में जागरूकता बढ़ाने और सरदार पटेल की देश के प्रति भूमिका को सम्मान देने के लिए रन फॉर यूनिटी नाम से एक राष्ट्रव्यापी मैराथन का आयोजन किया जाता है। इसका आयोजन देश के विभिन्न शहरों, गांवों एवं जिलों में होता है। इसमें स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी, अन्य शैक्षणिक संस्थान, राष्ट्रीय कैडेट कोर एवं राष्ट्रीय सेवा योजना के लोग शामिल होते हैं।
सरदार पटेल का जन्म 31 अक्टूबर, 1875 को करमसंद, गुजरात में हुआ था। सरदार वल्लभ भाई ने वकालत छोड़कर महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ गए थे। इसके अलावा उन्होंने गुजरात के बारदोली एवं खेड़ा में हुए किसान आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। बारदोली सत्याग्रह के दौरान उन्हें सरदार की उपाधि प्रदान मिली थी। 1947-49 के दौरान भारत के 500 से अधिक रियासतों के एकीकरण में उनकी खास भूमिका थी। 500 से अधिक देशी रियासतों के एकीकरण के कारण इन्हें लौहपुरूष एवं भारत का विस्मार्क कहा जाता है। सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती को मनाने के लिए भारत सरकार द्वारा वर्ष 2014 में इसकी शुरुआत की गई थी। वे स्वतंत्र भारत के पहले उप प्रधान मंत्री और गृह मंत्री थे।
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