भारत सरकार ने प्याज बीजों के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से लगा दी है। घरेलू बाजार में प्याज की कीमतों में उछाल के मद्देनजर सरकार ने यह कदम उठाया है। अभी इसके निर्यात पर नियंत्रण लगे हुए थे और बिना लाइसेंस लिए इसका निर्यात नहीं किया जा सकता था। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि प्याज बीज के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जा रही है। चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से अगस्त के दौरान 5.7 लाख डॉलर के प्याज बीज का निर्यात हुआ है। वहीं 2019-20 के पूरे वित्त वर्ष में प्याज बीज का निर्यात 35 लाख डॉलर रहा था। डीजीएफटी कीमतों पर अंकुश के लिए प्याज के निर्यात पर पहले ही रोक लगा चुका है।
उपभोक्ता मामलों की सचिव लीना नंदन ने के अनुसार, केंद्र ने खुदरा और थोक व्यापारियों पर 31 दिसंबर तक प्याज के भंडारण की सीमा भी लगाई है। खुदरा व्यापारी सिर्फ दो टन प्याज का भंडारण कर सकते हैं। वहीं थोक व्यापारियों को 25 टन प्याज का भंडारण करने की अनुमति होगी। भारी बारिश की वजह से प्याज की खरीफ की खड़ी फसल को काफी नुकसान हुआ है। इससे पिछले कुछ सप्ताह के दौरान प्याज का भाव 70 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गया है।
छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान और तमिलनाडु में खरीफ मौसम में उगाने के लिए इस लाल प्याज किस्म का उपयोग किया जाता है। इसे खरीफ में पछेती फसल के रूप में भी उगा सकते हैं। यह खरीफ में 22-22 टन/हेक्टेयर है। पछेती खरीफ में 40-45 टन/हेक्टेयर तक उपज देती है। खरीफ में 100 से 105 दिन और पछेती खरीफ में 110 से 120 दिन में कंद पककर तैयार हो जाते हैं।
इस किस्म की पहचान छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान और तमिलनाडु में खरीफ मौसम के लिए की गयी है। इसमें 20-22 टन/हेक्टेयर औसतन उपज प्राप्त होती है। इसमें आकर्षक गहरे, लाल रंग के चपटे एवं गोलाकार कंद होते हैं। 95-100 दिन में कंद पककर तैयार हो जाते हैं।
महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में रबी मौसम के लिए पहले से ही अनुमोदित इस किस्म को अब दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान और तमिलनाडु में खरीफ मौसम के लिए अनुमोदित किया गया है। यह फसल पछेती खरीफ मौसम में भी बोई जा सकती है। खरीफ में यह फसल 105-110 दिन और पछेती खरीफ और रबी मौसम में 110-120 दिन में यह पककर तैयार हो जाती है। खरीफ में औसतन उपज 19-21 टन/हेक्टेयर और पछेती खरीफ में 48-52 टन/हेक्टेयर है। रबी मौसम में 30-32 टन/हेक्टेयर है। रबी में 3 महीने तक इसका भंडारण कर सकते हैं।
सफेद प्याज की यह किस्म रबी मौसम के लिए पहले से ही अनुमोदित है और अब खरीफ मौसम में छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान और तमिलनाडु में उगाने के लिए इसे अनुमोदित किया गया है। 110-120 दिन में फसल पककर तैयार हो जाती है। 3 माह तक इसका भंडारण कर सकते हैं। खरीफ में इसकी औसत उपज 18-20 टन/हेक्टेयर है। और रबी में 26-30 टन/हेक्टेयर होती है।
सफेद प्याज की यह किस्म छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान और तमिलनाडु में खरीफ मौसम के लिए अनुमोदित की गयी है। महाराष्ट्र में पछेती खरीफ के लिए भी इसे अनुमोदित किया गया है। खरीफ में यह 110-115 दिन और पछेती खरीफ में 120-130 दिन में यह पककर तैयार हो जाती है। मध्यम भण्डारण की यह किस्म मौसम के उतार-चढ़ाव के प्रति सहिष्णु है। खरीफ में 18-20 टन/हेक्टेयर है और पछेती खरीफ में 36-42 टन/हेक्टेयर तक इसकी उपज प्राप्त की जा सकती है।
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