केंद्र सरकार ने 23 अक्टूबर को 16 राज्यों और दो केंद्रशासित प्रदेशों को पहली किस्त के रूप में देने के लिए 6000 करोड़ रुपये उधार लेकर स्थानांतरित किए हैं। वित्त मंत्रालय के अनुसार, सरकार ने यह पैसा 5.19 प्रतिशत ब्याज पर उधार लिया है। इसे राज्यों को साप्ताहिक आधार पर दिया जाएगा। यह उधार 3 से 5 वर्ष में चुकाना होगा।
जीएसटी के लागू होने से हर सामान और सेवा पर सिर्फ एक टैक्स लगता है अर्थात वैट, एक्साइज और सर्विस टैक्स की जगह एक ही टैक्स है। पूरे देश में किसी भी सामान की कीमत एक ही रहेगी। भारत में वर्ष 2006-07 के आम बजट में पहली बार इसका जिक्र किया गया था।
जीएसटी एक मूल्य वर्धित कर है जो कि विनिर्माता से लेकर उपभोक्ता तक वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर लिया जाने वाला एकमात्र कर है।
आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, गोआ, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, मध्य-प्रदेश, महाराष्ट्र, मेघालय, ओडिशा, तमिलनाडु, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड तथा केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और दिल्ली।
केंद्र सरकार ने वर्ष 2020-2021 के दौरान जीएसटी वसूली में गिरावट की भरपाई करने के लिए उधार की विशेष व्यवस्था की है। 21 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों ने वित्त मंत्रालय की देख-रेख में इस तरह की विशेष व्यवस्था करने को कहा था।
केंद्र को मिलने वाली एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स सब खत्म हो गए। राज्यों को मिलने वाला वैट, मनोरंजन कर, लक्जरी टैक्स, लॉटरी टैक्स, एंट्री टैक्स, चुंगी भी खत्म हो गई। वर्तमान में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष टैक्स से किसी उत्पाद की कीमत उत्पादन से लेकर हमारे हाथों तक पहुंचने तक दुगनी या तिगुनी हो जाती है। किसी भी सामान खरीदते वक्त उस पर 30-35 प्रतिशत टैक्स के रूप में चुकाते हैं। कहीं कहीं तो यह 50 प्रतिशत तक है। जीएसटी लागू होने के बाद ये टैक्स घटकर 12 -16 प्रतिशत रहने की उम्मीद की जा रही है।
राज्यों को यह डर था कि जीएसटी लागू हुआ तो उनकी कमाई कम हो जाएगी। खासकर पेट्रोल डीजल से तो कई राज्यों का आधा बजट चलता है, तो ऐसी परिस्थिति में केंद्र ने राज्यों को राहत दे दी कि इन वस्तुओं पर अभी जो टैक्स राज्य ले रहे हैं, वो शुरुआती बरसों में लेते रहें। राज्यों का जो नुकसान होगा उसकी भरपाई पांच साल तक केंद्र करेगा। इसके अलावा जीएसटी से जो टैक्स मिलेगा, वो केंद्र और राज्य में एक तय हिसाब से बंटेगा। पेट्रोल, डीजल, केरोसिन, रसोई गैस पर अलग-अलग राज्य में जो टैक्स लगते हैं, वो अभी कुछ साल तक जारी रखने का निर्णय इस बिल के लागू होने के बाद लिया गया।
जीएसटी काउंसिल ने पाँच तरह के कर निर्धारित किये हैं ये 0,5, 12, 18 एवं 28 प्रतिशत है। हालांकि बहुत सी चीजों को जीएसटी से छूट दी गई है उन वस्तुओं पर कोई भी कर नहीं लगेगा या जीएसटी नहीं लगेगा जबकि लग्जरी एवं महंगे सामान पर जीएसटी के अलावा सेस भी लगेगा। सरकार के अनुसार इसमें से 81 प्रतिशत चीजें जीएसटी की 18 प्रतिशत की श्रेणी तक आएंगी
पहले किसी भी सामान पर 30 से 35% तक कर देना पड़ता था कुछ चीजों पर तो प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से लगाया जाने वाला कर 50% से ज्यादा होता था जीएसटी आने के बाद यह कर अधिकतम 28 प्रतिशत होगा जिसमें कोई भी अप्रत्यक्ष कर नहीं होगा
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