नौ अक्तूबर को समाप्त हुए सप्ताह में देश के विदेशी मुद्रा भंडार में 5 अरब 86 करोड 70 लाख डॉलर की वृद्धि हुई और यह 5 सौ 51 अरब 50 करोड 50 लाख डॉलर हो गया। विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां भी पांच अरब 73 करोड 70 लाख डॉलर की वृद्धि के साथ पांच सौ आठ अरब 78 करोड तीस लाख डॉलर हो गई। इस दौरान स्वर्ण भंडार में 11 करोड 30 लाख डॉलर की बढोत्तरी हुई और यह 36 अरब 59 करोड 80 लाख डॉलर मूल्य का हो गया।
विदेशी मुद्रा भंडार देश के केंद्रीय बैंक द्वारा रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां होती हैं, जिनका उपयोग जरूरत पड़ने पर देनदारियों का भुगतान करने के लिए किया जाता है। पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था के लिए अनिवार्य होता है। यह आयात को समर्थन देने के लिए आर्थिक संकट की स्थिति में अर्थव्यवस्था को मदद करता है। इसमें आईएमएफ में विदेशी मुद्रा असेट्स, स्वर्ण भंडार और अन्य रिजर्व शामिल होते हैं, जिनमें से विदेशी मुद्रा असेट्स सोने के बाद सबसे बड़ा हिस्सा रखते हैं।
साल 1991 में देश को पैसा जुटाने के लिए सोना गिरवी रखना पड़ा था। तब सिर्फ 40 करोड़ डॉलर के लिए भारत को 47 टन सोना इंग्लैंड के पास गिरवी रखना पड़ा था। लेकिन मौजूदा स्तर पर, भारत के पास एक वर्ष से अधिक के आयात को कवर करने के लिए पर्याप्त मुद्रा भंडार है। यानी इससे एक साल से अधिक के आयात खर्च की पूर्ति सरलता से की जा सकती है, जो इसका सबसे बड़ा फायदा है।
अच्छा विदेशी मुद्रा आरक्षित रखने वाला देश विदेशी व्यापार का अच्छा हिस्सा आकर्षित करता है और व्यापारिक साझेदारों का विश्वास अर्जित करता है। इससे वैश्विक निवेशक देश में और अधिक निवेश के लिए प्रोत्साहित हो सकते हैं।
सरकार जरूरी सैन्य सामान की तत्काल खरीदी का निर्णय भी ले सकती है क्योंकि भुगतान के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त विदेशी मुद्रा बाजार में अस्थिरता को कम करने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार प्रभावी भूमिका निभा सकता है।
समीक्षाधीन अवधि में विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी की प्रमुख वजह विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (एफसीए) का बढ़ना है। यह कुल विदेशी मुद्रा भंडार का एक अहम हिस्सा है। इस दौरान एफसीए 5.737 अरब डॉलर बढ़कर 508.783 अरब डॉलर हो गया।
36.598 अरब डॉलर हो गया स्वर्ण भंडार
रिजर्व बैंक के आंकड़े के अनुसार समीक्षाधीन सप्ताह में देश का कुल स्वर्ण भंडार 11.3 करोड़ डॉलर बढ़कर 36.598 अरब डॉलर हो गया। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से मिला विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 40 लाख डॉलर बढ़कर 1.480 अरब डॉलर हो गया। आंकड़ों के अनुसार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के पास जमा देश का विदेशी मुद्रा भंडार भी 1.3 करोड़ डॉलर बढ़कर 4.644 अरब डॉलर हो गया।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ भारत के विशेष आहरण अधिकार में 40 लाख डॉलर की मामूली बढोत्तरी हुई और यह एक अरब 48 करोड डॉलर हो गया। मुद्रा कोष के साथ आरक्षित भंडार भी एक करोड 30 लाख डॉलर बढ़कर चार अरब 64 करोड 40 लाख डॉलर पर आ गया।
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