देशभर में आज राष्ट्रीय डाक टिकट संग्रह दिवस मनाया जा रहा है। डाक टिकटों और डाक इतिहास के अध्ययन के लिए डाक टिकट संग्रह किया जाता है। यह दिवस डाक टिकट संग्रह तथा डाक टिकटों और डाक संबंधी अन्य उत्पादों के बारे में अनुसंधान गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है।
भारत का पहला डाक टिकट 21 नवंबर 1947 को जारी हुआ था। इसका उपयोग केवल देश के अंदर डाक भेजने के लिए किया गया। इस पर भारतीय ध्वज का चित्र अंकित था और जय हिंद लिखा हुआ था। आजाद भारत का पहला डाक टिकट साढ़े तीन आना अर्थात 14 पैसे का था। उस वक्त डाकघरों को एक सुचना भेजी गई कि नए डाक टिकट आने तक, डाक टिकट चाहे अंग्रेजी सम्राट जॉर्ज की ही मुखाकृति की उपयोग में आए, लेकिन उस पर मुहर ‘जय हिन्द’ की लगाई जाए।
1947 में एक रुपया ‘100 पैसे’ का नहीं बल्कि ’64 पैसे’ यानि 16 आने का होता था और इकन्नी, चवन्नी और अठन्नी का ही प्रचलन था। देश मे भेजे जाने वाली डाक के लिए पहले डाक टिकट पर अशोक के राष्ट्रीय चिन्ह का चित्र मुद्रित किया गया। इसकी कीमत डेढ़ आना थी। इसी तरह विदेश में भेजे जाने वाले पत्रो के लिए पहले डाक टिकट पर डीसी चार विमान का चित्र बना हुआ था, उसकी राशि बारह आना यानि 48 पैसे की थी।
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