वर्ष 2020 के लिए नोबेल के शांति पुरस्कार विश्व खाद्य कार्यक्रम (World Food Program) को दिया गया है। यह संगठन साल 1961 से दुनियाभर में भूख के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है। यह सुनिश्चित करता है कि खाद्य सुरक्षा के जरिए देशों की आबादी को मूलभूत ताकत दी जा सके।
नॉर्वे की नोबेल कमिटी ने WFP को भूख से लड़ने की कोशिशों, युद्धग्रस्त क्षेत्रों में शांति के लिए हालात बेहतर करने और जंग और विवाद की स्थिति में भूख को हथियार के तौर पर इस्तेमाल किए जाने से रोकने में अहम भूमिका निभाने के लिए शांति का नोबेल पुरस्कार देने का फैसला किया है।
WFP दुनिया का सबसे बड़ा मानवीय संगठन है जो भूख को खत्म करने और खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने के मुद्दे पर काम करता है। वर्ष 2019 में WFP ने 88 देशों में 10 करोड़ लोगों को सहायता पहुंचाने का काम किया। WFP खाद्य सुरक्षा को शांति का औजार बनाने में बहुपक्षीय सहयोग में अहम भूमिका निभाता है। इसने संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों को युद्धग्रस्त क्षेत्रों में भूख को हथियार बनाने के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए प्रेरित किया है।
वर्ष 2020 में जब कोरोना वायरस की महामारी ने दुनिया को अपनी जद में ले लिया, तब WFP ने सबसे भूलभूत जरूरत को अपना हथियार बनाया। भूख की वजह से इस साल जान गंवाने वाले लोगों की संख्या में भारी इजाफा हो गया। ऐसे में WFP ने अपनी कोशिशों को और तेज कर दिया। संगठन का कहना है कि जब तक इस वायरस से लड़ने के लिए मेडिकल वैक्सीन नहीं आ जाती, खाना ही इसके खिलाफ सबसे बड़ा हथियार है।
भारत में WFP अब सीधे खाद्य सहायता प्रदान करने के बजाय भारत सरकार को तकनीकी सहायता और क्षमता निर्माण सेवाएं प्रदान करता है। WFP अब इस बात पर ध्यान दे रहा है कि देश के भोजन आधारित सामाजिक सुरक्षा कवच को इतना सक्षम कर दिया जाए कि वह लक्षित जनसंख्या तक भोजन को अधिक कुशलता और असरदार ढंग से पहुंचा सके।
इथियोपिया के प्रधानमंत्री अबी अहमद अली को 2019 के लिए प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार दिया गया था। उन्हें उनके शांति प्रयासों खासकर पड़ोसी देश इरिट्रिया के साथ सीमा विवाद को हल करने में निर्णायक भूमिका के लिए यह पुरस्कार दिया गया। उन्हें इथियोपिया का नेल्सन मंडेला भी कहा जाता है।
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