प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कल वीडियो कांफ्रेंस के जरिए ऐतिहासिक कोसी रेल महासेतु राष्ट्र को समर्पित करेंगे। यह आयोजन बिहार के इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना होगी इस महासेतु से राज्य को समूचे पूर्वोत्तर से जोजुड़ जाएंगे। कोसी रेल महासेतु एक दशमलव नौ किलो मीटर लम्बा है और इसके निर्माण पर पांच सौ 16 करोड़ रुपए की लागत आई है। पुल का निर्माण कोविड महामारी के दौरान पूरा किया गया और इस काम में प्रवासी मजदूरों ने भी भागीदारी की। कोसी महासेतु को राष्ट्र को समर्पित करना 86 वर्ष पुराने सपने का साकार होना है। इस पुल से कोसी और मिथिला की यात्रा सुगम हो जाएगी।
इसके अलावा प्रधानमंत्री बिहार के लिए लाभकारी, 12 रेल परियोजनाओं का भी उद्घाटन करेंगे। इनमें क्यूल नदी पर नया रेल पुल, दो नई रेल लाइनें, पांच विद्युतीकरण परियोजनाएं, एक विद्युत चालित इंजन शेड और बख्तियारपुर के बीच तीसरी रेल लाइन की परियोजना शामिल हैं।
बिहार में कोसी और मिथिलांचल के लोगों का सपना 86 साल के बाद पूरा होने जा रहा है। पीएम मोदी 516 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित कोसी महासेतु का उद्घाटन करेंगे। बिहार में वर्ष 1934 में आए भूकंप के दौरान कोसी नदी पर बना रेल पुल क्षतिग्रस्त हो गया था। सरायगढ़-निर्मली के बीच कोसी नदी पर रेल महासेतु का शिलान्यास तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था। साल 2003-04 में 323.41 करोड़ रुपये की लागत से इसे स्वीकृत किया गया था। लेकिन समय सीमा में वृद्धि होने से इस परियोजना पर 516.02 करोड़ रुपये खर्च हुए। 6 जून 2003 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कोसी नदी पर रेल पुल की नींव रखी थी। 17 साल बाद यह पुल बनकर तैयार हुआ है, जिसका उद्घाटन 18 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे।
पीएम मोदी ने बिहार में तीन पेट्रोलियम परियोजनाओं को राष्ट्र को समर्पित किया। इन परियोजनाओं में पारादीप-हल्दिया-दुर्गापुर पाइपलाइन परियोजना का दुर्गापुर-बांका खंड और दो एलपीजी बॉटलिंग संयंत्र शामिल था। इससे बिहार में रोजगार के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष अवसर भी उपलब्ध होंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश के रीवा में 750 मेगावाट की सौर परियोजना को राष्ट्र को समर्पित किया। एशिया का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा प्लांट मध्य प्रदेश के रीवा में लगाया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए लोकार्पित किया था।
*कोसी नदी का उद्गम स्थल नेपाल के सप्तकौशिकी में है।
*कोसी नदी को बिहार का शोक कहा जाता है।
*बाढ़ की विभीषका के कारण ऐसा कहा जाता है।