वित्तमंत्री निर्मला सीतारामन ने कहा कि इससे देश में सहकारी बैंकों के जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा हो सकेगी। उन्होंने महाराष्ट्र में पीएमसी बैंक का जिक्र करते हुए कहा कि नए कानून के बन जाने से ऐसी स्थितियों में छोटे जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा की जा सकेगी। सीतारामन ने कहा कि कोरोना महामारी ने सहकारी बैंकों की वित्तीय स्थिति पर बुरा असर डाला है। देश में दो सौ 77 शहरी सहकारी बैंक खराब हालत में हैं। इनमें से एक सौ पांच सहकारी बैंक न्यूनतम निर्धारित राशि रखने की स्थिति में नहीं है, जबकि 47 की शुद्ध लागत ऋणात्मक स्थिति में है।
वित्त मंत्री ने कहा कि इस विधेयक में बैंकिंग विनियमन अधिनियम 1949 की धारा-3, धारा-45 और धारा-56 में संशोधन का प्रस्ताव है। इससे नियम कानून की दृष्टि से सहकारी बैंकों और वाणिज्यिक बैंकों में एकरूपता लाई जाएगी। इस विधेयक से भारतीय रिज़र्व बैंक सहकारी बैंकों के पुनर्गठन या विलय की योजना बना सकेगा और जमाकर्ताओं के हित में सही प्रबंधन की व्यवस्था भी कर सकेगा।
सहकारी समितियों द्वारा कृषि के विकास और प्राथमिक कृषि ऋण समितियों को दीर्घावधि पूंजी उपलब्ध कराए जाने के बारे में कुछ सदस्यों की आशंकाओं को दूर करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि इन्हें इस विधेयक के दायरे में नहीं रखा गया है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि जो सहकारी समितियां अपने नाम के साथ बैंक शब्द का इस्तेमाल नहीं करती हैं और चेकों का समाशोधन नहीं करतीं हैं उन्हें इस विधेयक के दायरे से बाहर रखा गया है।
विपक्षी दलों ने इस विधेयक का विरोध किया है।
*यह विधेयक संघ सूची से संबंधित है।
*संघ सूची में शामिल विषयों पर राज्यों से चर्चा की आवश्यकता नहीं होती है।
*समवर्ती सूची में स्थित विषयों पर राज्यों से परामर्श लेना आवश्यक है।
*संघ सूची में विषयों की संख्या 100 है।
*समवर्ती सूची के अंतर्गत 52 विषय हैं ।
*राज्य सूची में विषयों की संख्या 61 है।