भारत—चीन सीमा पर जारी तनाव और पाकिस्तान से लगातार हो रही घटनाओं को देखते हुए भारत ने खुद को सैन्य स्तर के हर मोर्चे पर मजबूत करने का शिलशिला जारी रखा है। भारत अपनी हवाई सीमाओं की सुरक्षा एवं दुश्मन देशों की नाक में दम करने के लिए अत्याधुनिक मिसाइलों और घातक बमों से लैस राफेल लड़ाकू विमान की खरीद की है जो फ्रांस से खरीदी गई है। ऐसी स्थिति में भारत के लिए इस उपलब्धि को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है राफेल के भारतीय वायुसेना में शामिल होने के बाद दुश्मनों के खिलाफ बड़ी बढ़त के तौर पर देखा जा रहा है।
भारत ने फ्रांस सरकार के साथ 36 राफेल विमानों की खरीद के लिए 59,000 करोड़ रुपये में डील की है। दोनों सरकार के बीच इस समझौते पर हुए दस्तखत के करीब चार साल बाद राफेल विमान की पहली खेप भारत को मिल रही है। इसके शामिल होने से भारतीय वायुसेना के बेड़े की ताकत में काफी इजाफा होगा। अक्टूबर 2019 में दसॉल्ट एविएशन ने पहले राफेल जेट को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में भारतीय वायुसेना को सौंपा था। 2021 अंत तक सभी 36 राफेल जेट भारत की सुरक्षा के लिए आ जाएंगे। दसॉल्ट की ओर से भारतीय वायुसेना पायलट और सभी सपोर्टिंग स्टॉफ को एयरक्रॉफ्ट और वैपन सिस्टम की पूरी ट्रेनिंग दी जा चुकी है। 36 राफेल जेट्स में से 30 फाइटर जेट्स और 6 ट्रेनर जेट होंगे। ट्रेनर जेट ट्विन सीटर होंगे और उनमें फाइटर जेट्स वाले लगभग सभी फीचर्स होंगे। राफेल फाइटर जेट को उड़ाने के लिए कुल 12 पायलटों को ट्रेनिंग दी गई है। पांच राफेल लड़ाकू विमानों को 10 सितम्बर 2020 को अंबाला हवाई ठिकाने पर हुए शानदार समारोह में भारतीय वायु सेना में औपचारिक रूप से शामिल किया गया। फ्रांस से भारत की करीब 7000 किमी की दूरी तय करते हुए 10 घंटे की उड़ान के बीच में राफेल विमानों को एक बार 27 जुलाई शाम 7 बजे के आस-पास संयुक्त अरब अमीरात के अल दफ्रा एयरबेस पर उतारा गया। विमानों को फ्रांस से यूएई पहुंचने में सात घंटों का वक्त लगा।
अत्याधुनिक मिसाइलों और घातक बमों से लैस राफेल लड़ाकू विमान औपचारिक रूप से भारतीय वायुसेना में शामिल हो गया है। राफेल अंबाला एयरबेस पर 17 स्कवॉड्रन ‘गोल्डन ऐरोज़’ में शामिल किया गया है। भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और फ्रांस की रक्षामंत्री फ्लोंरेस पार्ले की मौजूदगी में राफेल वायुसेना में शामिल हुआ। इसके साथ ही एयरफोर्स की ताकत और बढ़ गई है।
अंबाला एयरबेस पर राफेल लड़ाकू विमान को वाटर कैनन से सलामी दी गई। फ्लाईपास्ट के शुरू होने के साथ ही 4.5 पीढ़ी का लड़ाकू विमान राफेल आसमान में करतब भी दिखाया। भारतीय वायुसेना में पांच राफेल लड़ाकू विमान शामिल हुए हैं और लड़ाकू विमान अगले साल तक आ जाएंगे। रंग-बिरंगे हेलीकॉप्टर सारंग ने भी राफेल के भारतीय वायुसेना में शामिल होने का जश्न मनाया और अपना करतब दिखाया।
पांच धर्मों के धर्मगुरुओं ने राफेल को वायुसेना में पूरे पूजा पाठ के साथ शामिल कराया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, फ्रांस की रक्षा मंत्री, सीडीएस बिपिन रावत, एयरफोर्स चीफ भदौरिया इस मौके पर मौजूद रहे। फ्रांस की रक्षामंत्री को भारत आगमन पर पालम हवाईअड्डे पर गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।
फ्रांस से 29 जुलाई को 5 राफेल विमान अंबाल के एयरफोर्स बेस में पहुंचे। इनमें तीन सिंगल सीटर और दो ट्विन सीटर जेट हैं। अंबाला एयरबेस में जगुआर और मिग-21 फाइटर जेट भी हैं। इससे लगभग चार साल पहले भारत ने फ्रांस के साथ 59,000 करोड़ रुपये की लागत से ऐसे 36 विमानों की खरीद के लिए अंतर सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
फ्रांस से राफेल खरीदने वाला पहला देश इजिप्ट है। इजिप्ट ने सबसे पहले फ्रांस से राफेल खरीदने के लिए 2014 में बात शुरू की थी। 16 फरवरी 2015 को इजिप्ट राफेल का पहला इंटरनेशनल कस्टमर बना और 24 विमानों के लिए आर्डर दिया गया। यह डील तब 590 करोउ़ डॉलर की थी.।2016 में उसे फ्रांस से राफेल मिलने शुरू भी हो गए.।नवंबर 2017 तक उसे 14 राफेल मिल चुके थे।
4 मई 2015 को कतर ने फ्रांस से 25 राफेल खरीदने के लिए डील की। इसके लिए 700 करोड़ डॉलर में डील हुई थी। 2019 में कतर को पहला राफेल मिला था।
*वर्तमान एयरफोर्स चीफ एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया है।
*36 राफेल जेट्स में से 30 फाइटर जेट्स और 6 ट्रेनर जेट होंगे।
*फिनलैंड, मलेशिया, स्विटजरलैंड, संयुक्त अरब अमीरात राफेल खरीदने के लिए उत्सुक है।
*ब्राजील, बेल्जियम, कनाडा, कुवैत, लीबिया, सिंगापुर की राफेल लड़ाकू विमान की डील फेल हो चुकी है।
*इसका मतलब किसी कारणवश फ्रांस ने राफेल देने से मना कर दिया है।
*राफेल के भारत आगमन पर सुखोई लड़ाकू विमानों ने भारतीय सीमा में स्वागत किया और अंबाला एयरबेस तक साथ में उड़ान भरी।