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बॉलिवुड के जाने-माने ऐक्टर परेश रावल को नैशनल स्कूल ऑफ ड्रामा का प्रमुख/चेयरमैन नियुक्त किया गया है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस फैसले पर अपनी मुहर लगा दी है। यह पद 2017 से ही खाली था। राष्ट्रीय नाट्य अकादमी/नेशनल स्कूल आफ ड्रामा भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अधीन कार्य करती है।

परेश रावल: 
परेश रावल का जन्म 30 मई 1950 को मुंबई में हुआ था। इन्होंने हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री में खलनायक, नायक, हास्य कलाकार का रोल प्ले किया है। 2014 में उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया। यह 1994 में राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार सहायक किरदार के लिए से सम्मानित हुए। इसके बाद इन्हें सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता का फ़िल्मफेयर पुरस्कार भी मिल चुका है। यह केतन मेहता की फ़िल्म सरदार में स्वतंत्रता सेनानी वलभभाई पटेल की मुख्य किरदार में नजर आए थे। अभिनेत्री और 1979 में मिस इंडिया बनी स्वरूप सम्पत के साथ इनका विवाह हुआ। रावल ने अभिनय की शुरूआत 1984 में की थी। तब यह होली नामक फ़िल्म में एक सहायक किरदार निभाया था। 65 साल के परेश रावल सिनेमा और थिएटर दोनों के मंझे हुए कलाकार हैं और उनके पास अभिनय का वर्षो का तजुर्बा है।

फिल्में :
ओएमजी, हेरा फेरी, फिर हेरी फेरी, हंगामा भागम भाग, मालामाल विकली, हलचल, चुपके—चुपके, संजू, वेलकम, दे दना दन, मेरे बाप पहले आप, अंदाज अपना अपना , धर्म संकट में, यूरी: द सर्जिकल स्ट्राइक, अवारा पागल दिवाना, भूल—भूलैया, अतिथी तुम कब जाओगे, नायक इत्यादि इनकी बेहतरीन फिल्में है।

राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय:
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय विश्व के अग्रणी नाट्य प्रशिक्षण संस्थाओं में से एक है तथा भारत में अपनी तरह का एक मात्र संस्थान है। इसकी स्थापना संगीत नाटक द्वारा उसकी एक इकाई के रूप में वर्ष 1959 में की गई। वर्ष 1975 यह एक स्वतंत्र संस्था बनी व इसका पंजीकरण वर्ष 1860 के सोसायटी पंजीकरण धारा XXI के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्था के रूप में किया गया। यह संस्था संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा पूर्ण रूप से वित्त पोषित है। विद्यालय में दिया जाने वाला प्रशिक्षण गहन, संपूर्ण एवं व्यापक होता है जिसमें सुनियोजित पाठ्यक्रम होता है जो कि रंगमंच के हर पहलू को समाहित करता है और जिसमें सिद्धांत व्यवहार से संबंधित होते हैं। प्रशिक्षण के एक अंश के रूप में छात्रों को नाटक तैयार करने होते हैं जिनको कि बाद में जन समूह के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है।

उनके पाठ्यक्रम में उन महान रंगकर्मियों के कार्यों को दर्शाया जाता है जिन्होंने समकालीन रंगमंच के विभिन्न पहलुओं को साकार रूप देने में सहयोग किया। संस्कृत नाटक, आधुनिक भारतीय नाटक, पारंपरिक भारतीय रंगमंच रूपों, एशियन नाटक ‘और पाश्चाात्य नाट्य प्रोटोकॉल के सुनियोजित अध्यंयन और व्यावहारिक प्रस्तुतिकरण अनुभव छात्रों को रंगमंच कला की एक सशक्त पृष्ठभूमि व बृहत दृष्टिकोण प्रदान करता है।

संस्थान का उद्देश्य:

विद्यालय की दो प्रस्‍तुति इकाइयां हैं – रंगमंडल और थियेटर इन एजुकेशन कंपनी। राष्‍ट्रीय नाट्य विद्यालय, रंगमंडल कलाकार री रामामूर्ति, सुश्री मीना विलियम्‍स, सुश्री सुधा शिवपुरी और श्री ओम शिवपुरी के साथ वर्ष 1964 में आरंभ हुआ। रंगमंडल का उद्देश्‍य विद्यालय के स्‍नातकों को नाटकों को पेशेवर रूप में प्रस्‍तुत करने के लिए मंच उपलब्‍ध कराना था। इन वर्षों में रंगमंडल ने ऐसे विभिन्‍न नाट्यकारों और निर्देशकों के कार्यों को प्रस्‍तुत किया जो इसके साथ समय-समय पर जुड़े रहे और हालांकि समय के साथ-साथ समकालीन अैर आधुनिक नाटकों पर कार्य करने और नियमित रूप से प्रायोगिक कार्यों को शामिल करने वाला यह रंगमंडल रानावि ( राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय) का एक प्रमुख संस्‍थान बन गया। प्रस्‍तुतियों के अतिरिक्‍त यह गर्मियों में अपना स्‍वयं का उत्‍सव भी आयोजित करता है जिसमें नई प्रस्‍तुतियों को को शामिल कर पूर्व मंचित प्रस्‍तुतियों के सथ मंचित किया जाता है।

दूसरा प्रस्‍तुति सकंध है ‘थियेटर इन एजुकेशन कंपनी’ (संस्‍कार रंग टोली) जिसकी स्‍थापना 16 अक्‍तूबर, 1989 में की गई और यह देश में रंगमंच शिक्षा का सर्वाधिक महत्‍वपूर्ण स्रोत है। नाटकों का प्रमुख उद्देश्‍य एक ऐसा माहौल तैयार करना होता है जिसमें कि बच्‍चों प्रश्‍न पूछे। निर्णय ले अपनी जागरूकता के मुताबिक बृहत सामाजिक परिप्रेक्ष्‍य में अपना पसंद-नापसंद बता सके। टाई कंपनी ने दिल्‍ली व देश के अन्‍य भागों में 26 नाटकों की 800 से भी अधिक नाटकों के प्रदर्शन किए हैं। लगभग 5.5 लाख से भी अधिक बच्‍चों ने इस नाटक को देखा। इनमें कॉलेज के छात्र, शिक्षक, माता-पिता और रंगमंच प्रेमी अलग से शामिल है।

इन दो इकाईयों के अंतर्गत, विद्यालय का एक सक्रिय विस्‍तार विभाग है, एक प्रकाशन इकाई है और एक साहित्यिक फोरम श्रुति है। विस्‍तार कार्यक्रम के अंतर्गत रानावि संकाय और पूर्व स्‍नातक देश के विभिन्‍न भागों में कार्यशालाएं संचालित करते हैं। इसकी शुरुआत 1978 में हुई और तब से यह इकाई पूरे देशभर में और नेपाल, सिक्किम, लद्दाख और भूटान में भी वयस्‍कों और बच्‍चों के लिए कार्यशालाएं संचालित करती है। 1980 में आरंभ ‘पारंपरिक रंगमंच प्रोजैक्‍ट किया गया जो कि पारंपरिक और समकालीन रंगमंच कलाकारों के बीच नियमित आधार पर सर्जनात्‍मक बातचीत की सुविधा प्रदान करता है। रंगमंच से परिचय करवाने के साथ-साथ, ये कार्यशालाएं प्रतिभागियों के व्‍यक्तिव का विकास करती है और उन्‍हें संवेदनशीलता के दायरे की ओर बढ़ाती हैं।

रानावि की प्रकाशन इकाई रंगमंच विषय पर पुस्‍तकें मुद्रित करने, रंगमंच की महत्‍वपूर्ण पुस्‍तकों के अंग्रेजी से हिन्‍दी अनुवाद उपलब्‍ध करवाने और रंगमंच विषय पर महत्‍वपूर्ण पुस्‍तकों को प्रकाशित करता है। इस इकाई का सबसे बड़ा प्रकाशन ‘रंगयात्रा’ ने वर्ष 1964 के बाद से, रानावि रंगमंडल के 25 वर्षों के इतिहास को संजोया है यह वर्ष 1990 में मुद्रित हुई। इसके नियमित प्रकाशनों के अतिरिक्‍त वर्ष 2010 तक इस इकाई ने नाटक व संबंधित विषयों पर 82 प्रकाशन मुद्रित किए हैं।

नोट:

*बीजेपी के टिकट पर परेश रावल 2014 आमचुनाव में अहमदाबाद ईस्ट से सांसद चुने गए थे।

*परेश रावल की नियुक्ति एनएसडी चेयरमैन के रूप में 4 सालों के लिए की गई है।

*वर्ष 2014 में पद्म श्री से सम्मानित किए गए थे परेश रावल।

*नेशनल स्कूल आफ ड्रामा भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अधीन कार्य करती है।

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