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हिमाचल प्रदेश नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने वाला देश का पहला राज्य, जाने महत्वपूर्ण तथ्य

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हिमाचल प्रदेश  में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को लागू कर कर दिया गया है। मंगलवार देर शाम राज्यपाल से मंजूरी मिलते ही शिक्षा सचिव ने इस बाबत अधिसूचना  जारी कर दी है।  नई शिक्षा नीति को लागू करने वाला हिमाचल प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है। इसे सफलतापूर्वक लागू करने के लिए 43 सदस्यों का टास्क फोर्स गठित किया गया है।  शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर टास्क फोर्स के अध्यक्ष बनाए गए हैं. इसके अलावा समग्र शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशक को सदस्य सचिव नियुक्त किया है।

 

टास्क फोर्स टीम में कौन—कौन:
शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर टास्क फोर्स के अध्यक्ष बनाए गए हैं।   इसके अतिरिक्त समग्र शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशक को बतौर सदस्य सचिव नियुक्त किया गया है।   इसके साथ ही टास्क फोर्स में विभिन्न विभागों के सचिव, विश्वविद्यालयों के कुलपति और स्कूल व कॉलेजों के शिक्षकों को सदस्य के रूप में शामिल किया है।

टास्क फोर्स ने शिक्षा, स्वास्थ्य, तकनीकी शिक्षा, स्कूल शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष और हायर एजूकेशन काउंसिल के अध्यक्ष, एचपीयू के अलावा क्लस्टर यूनिवर्सिटी मंडी, तकनीकी यूनिवर्सिटी हमीरपुर के कुलपति, उच्च शिक्षा निदेशक, प्रारंभिक शिक्षा निदेशक, एससीईआरटी सोलन और डाइट शिमला के प्रिंसिपल भी सदस्य होंगे।   इसके अलावा कुछ अन्य लोग मनोनीत किए गए हैं।    मनोनीत सदस्यों में केंद्रीय विवि धर्मशाला के कुलपति सहित कई शिक्षकों और शिक्षाविदों को शामिल किया है।

नई शिक्षा नीति—2020 की मुख्य बातें:

*अब 5 वीं वर्ग/कक्षा/क्लास तक के छात्र/छात्राओं को उनकी मातृ भाषा या स्थानीय भाषा और राजभाषा में ही शिक्षा दी जाएगी।
*अन्य विषय अंग्रेजी भी एक विषय के तौर पर पढ़ाई जाएगी।
* वर्ग 6 से बच्चों को व्यावसायिक शिक्षा भी दी जाएगी।
*वर्ग 9—12 तक परीक्षाएं सेमेस्टर के हिसाब से ली जाएगी।
*अब सिर्फ 12वीं में बोर्ड परीक्षाएं आयोजित की जाएंगी।
* स्कूली शिक्षा को 5 +3 +3 +4 फॉमूले के तहत पढ़ाया जाएगा।
*कॉलेज की डिग्री 3 / 4 साल की होगी, ग्रेजुएशन के पहले साल पर सर्टिफिकेट, दूसरे साल पर डिप्लोमा एवं तीसरें साल पर डिग्री प्रदान की जाएगी। अर्थात एक साल या दो साल पढ़ाई करने के बाद भी विद्यार्थियों को फेल करने की बजाय उन्हें सर्टिफिकेट या डिप्लोमा प्रमाण पत्र दिया जाएगा।
* 3 साल की डिग्री उन छात्र/छात्राओं के लिए जिन्हें उच्च शिक्षा नही ग्रहण करनी है।

*उच्च शिक्षा की चाहत रखने वाले युवाओं को 4 साल की डिग्री लेनी होगी। 4 साल की डिग्री लेने वाले युवा एम.ए./परास्नातक करने के लिए केवल एक वर्ष पढ़ाई करनी होगी।
* नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद युवाओं को MPhil करने की आवश्यकता नहीं होगीं वे सीधे PHD कर सकेंगे।
* क्षेत्रीय भाषाओं में ई.कोर्स आरंभ किए जाएंगे।
*वर्चुअल लैब्स विकसित किए जाएंगे।
* एक नेशनल एजुकेशनल साइंटिफिक फोरम आरंभ किया जाएगा।
* मानव संसाधन विकास मंत्रालय को अब शिक्षा मंत्रालय के नाम से जाना जाएगा।

नोट:

* 34 साल बाद शिक्षा नीति में बदलाव हुए हैं।

*34 साल पहले यानी 1986 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनाई गई थी।

* इसकी समीक्षा के लिए साल 1990 और साल 1993 में कमेटियां भी बनाई गईं थीं।

* नई शिक्षा नीति में रोजगार चाहने वालों के स्थान पर रोजगार प्रदाताओं पर ध्यान केन्द्रित किया गया है

*यह नीति विद्यार्थियों को रटने की आदत से समीक्षात्मक सोच की ओर अग्रसर करेगी।

*इस नीति में नए पाठ्यक्रम ढांचे की अवधारणा भी की गई हैं।

*हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर है।

*हिमाचल प्रदेश में भाजपा की सरकार है।
*हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय है।

*वर्ष 1986 में प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार ने शिक्षा नीति लागू की थी।

*भारत के शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक है।

*रमेश पोखरियाल निशंक उत्तराखंड के हरिद्वार से सांसद है।

*ये भारतीय जनता पार्टी से संबंधित है।

*नई शिक्षा नीति 2020 के लिए पूर्व मंत्रिमंडल सचिव टीएसआर सुब्रहमण्यम की अध्यक्षता में समिति गठित की गई थी

*जिसने वर्ष मई 2016 में ही अपनी ​रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थीं।

*इसरो के पूर्व अ​ध्यक्ष “के. कस्तुरीरंगन” की अध्यक्षता में गठित समिति ने भी पिछले वर्ष वर्तमान शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी।

 

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