भारत की सबसे बड़ी सरकारी नियोक्ता संस्था/13 लाख कर्मचारियों वाले भारतीय रेलवे में दशकों से कई सुधारों की मांग की जा रही थी। अब भारत सरकार ने रेलवे बोर्ड और रेलवे की 8 अलग-अलग सर्विसों का पुनर्गठन कर दिया है। इसके तहत अब रेलवे बोर्ड के चेयरमैन आधिकारिक रूप से मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO ) की तरह काम करेंगे। रेलवे बोर्ड मेम्बरों की तीन पोस्ट ख़त्म कर दी गई हैं। अब बोर्ड में चेयरमैन/ सीईओ के साथ सिर्फ 4 रेलवे बोर्ड मेम्बर ही काम करेंगे। इस पर बुधवार को कैबिनेट की एपोईंटमेंट कमेटी (एसीसी) ने मुहर लगा दी है।
अब ऐसा होगा रेलवे बोर्ड:
रेलवे में रेल मंत्री के बाद सबसे बड़ा अधिकारी रेलवे बोर्ड का चेयरमैन (सीआरबी) होता था। उसके साथ अब तक 7 बोर्ड मेम्बर होते थे। सीआरबी और मेम्बरों को मिला कर रेलवे बोर्ड बनता था। रेलवे के सभी बड़े फैसले रेल मंत्री की निगरानी में रेलवे बोर्ड ही लेता है। अब इस रेलवे बोर्ड को छोटा कर दिया गया है। रेलवे की 3 सर्वोच्च स्तर की पोस्ट यानी 3 बोर्ड मेम्बर की पोस्ट को ख़त्म कर दिया गया है। इसके साथ ही 27 जनरल मैनेजरों की स्केल को बढ़ा कर बोर्ड मेम्बरों के लगभग समकक्ष कर दिया गया है।
इंडियन रेलवे मैनेजमेंट सर्विस का गठन:
भारतीय रेलवे के अलग-अलग कामों के लिए यानी अलग-अलग डिपार्टमेंट के लिए अब तक 8 अलग-अलग परीक्षाएं होती थीं, जिसे पास कर कर्मचारी एक ही डिपार्टमेंट में काम करते थे। ऐसे में रेलवे के बड़े पदों के लिए इन डिपार्टमेंटों में मनमुटाव बना ही रहता था, जो एक बड़ी समस्या थी। नई रीस्ट्रकक्चरिंग में अब इन 8 ग्रुप सर्विसेज़ को एक साथ मर्ज कर के इंडियन रेलवे मैनेजमेंट सर्विस नाम की एक नई “ग्रुप ए ” सेंट्रल सर्विस का गठन किया गया है। इसका मतलब है कि अब उन आठों सर्विसेज़ के स्थान पर अकेली इंडियन रेलवे मैनेजमेंट सर्विस काम करेगी।
इंडियन रेलवे मेडिकल सर्विस में भी बदलाव:
इंडियन रेलवे मेडिकल सर्विस (आईआरएमएस) का नाम बदल कर अब इसे इंडियन रेलवे हेल्थ सर्विस ( आईआरएचएस) का नाम दिया गया है। अब तक रेलवे में अलग अलग सर्विस ग्रुप से आए अधिकारियों में अच्छी पोस्टिंग आदि को लेकर कानूनी और आंतरिक लड़ाइयां चलती रहती थीं। यहां तक कि अगर किसी मैकेनिकल सर्विस ग्रुप के व्यक्ति को उसकी क़ाबिलियत के कारण किसी खास पोस्ट पर बैठाया गया तो इलेक्ट्रिकल या अन्य ग्रुप सर्विस के अधिकारी दूसरी ग्रुप सर्विस के अधिकारियों पर पक्षपात का आरोप लगाते थे। अब रेलवे की सभी ग्रुप सर्विसों के मर्जर से ये असंतोष ख़त्म हो जाएगा और काम काज में स्पष्टता आएगी।
प्रमोशन की प्रक्रिया पहले और अब:
अब तक रेलवे अधिकारियों को मिलने वाले काम, असाइनमेंट और सम्बंधित पोस्ट उनकी वरिष्ठता और उनके ग्रुप सर्विस के कोटे के आधार पर होती थीं। प्रमोशन का आधार भी सिनियोरित्य और कोटा ही था, लेकिन मर्जर के बाद अब सभी अधिकारियों का प्रमोशन उनकी क्षमता और परफार्मेंस के आधार पर होगा। इसी आधार पर उन्हें काम भी दिया जाएगा। इससे सभी को सामान अवसर प्राप्त हो सकेंगे। रेलवे के नए अधिकारियों को अब उनकी लम्बी सर्विस के दौरान एक विशेष क्षेत्र का विशेषज्ञ बनाया जाएगा। साथ ही रेलवे के सभी कामों के प्रति उनका एक ज़रूरी नज़रिया विकसित करने पर ज़ोर दिया जाएगा। इसका फ़ायदा ये होगा कि एक स्तर के किसी भी सीनियर अधिकारी को मैनेजमेंट स्तर की ज़िम्मेदारी उसकी क्षमता के मानकों के आधार पर दी जा सकेगी।
चार कमेटियों ने दिए थे सुझाव:
रेलवे में रिस्ट्रक्चरिंग/नवपरिवर्तन के माध्यम से हुए इन सुधारों की अनुशंशा पिछले 25 सालों से की जा रही थी। इस दिशा में रेलवे के अंदर की भुलभुलैया को समाप्त करने का सुझाव इन चार कमेटियों ने दिया था।
*प्रकाश टंडन कमेटी- 1994
*राकेश मोहन कमेटी- 2001
* सैम पित्रोदा कमेटी- 2012
*बिबेक देबरॉय कमेटी- 2015
यूपीएससी करेंगी चयन:
8 अलग ग्रुप सर्विस को एक सर्विस में मर्ज किए जाने के बाद अब नए सिरे से होने वाली परीक्षाओं और अन्य मामलों को देखने के लिए रेलवे यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन और डीओपीटी साथ मिल कर साझा प्रयास कर रहे हैं।
नोट:
*रेलवे बोर्ड के पहले सीईओ विनोद कुमार यादव बनाएं गए है।
*रेलवे के चेयरमैन अब सीईओ कहें जाएंगे।
*रेलवे में इन बदलावों के लिए चार कमेटियों ने सुझाव/रिपोर्ट दी थी।
*रेलवे का अधिकारियों का चयन अब सिर्फ यूपीएससी करेंगी।