रूस ने वर्ष 1961 में सबसे घातक माने जाने वाले हाइड्रोजन बम की टेस्टिंग कर ली थी। इस बम का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दूसरे विश्व युद्ध के समय जापान के नागासाकी पर गिराए बम से 3,333 गुना ताकतवर है। रूस के द्वारा जारी किए गए वीडियों के अनुसार इतनी ताकतवर बम की टेस्टिंग 30 अक्टूबर 1961 में हुई थी जिसकी जानकारी पिछले सप्ताह परमाणु उद्योग की 75वीं वर्षगांठ पर सार्वजनिक की गई है।
रूसी हाइड्रोजन बम की खास बातें
इस बम को जार नाम दिया गया था।
इस बम की लंबाई 8 मीटर थी, मोटाई 2 मीटर एवं 24,494 किलो वजन का था। यह लगभग 50 मेगाटन का था।
इसे विमान से पैराशुट के जरिए आर्कटिक सागर के सेर्वेनी द्वीप पर गिरा कर टेस्टिंग की थी।
इसके धमाके के 40 सेकेण्ड के भीतर ही आग का गोला 30 किलोमीटर की ऊंचाई तक पहुंच गया था।
परमाणु बम
परमाणु बम एक प्रकार का विस्फोटक होता है जो विखंडन या संलयन के माध्यम से परमाणु प्रतिक्रियाओं का प्रयोग करता है। दुनिया में सबसे पहले परमाणु बम का का उपयोग दूसरे विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका द्वारा किया गया था।
परमाणु बम में यूरेनियम या प्लूटोनियम के परमाणु विखंडन से ऊर्जा पैदा होती है। इसके लिए परमाणु के केन्द्रक में न्यूट्रॉन से चोट किया जाता है जिससे बड़ी मात्रा में ऊर्जा पैदा होती है, इसे ही नभिकीय विखंडन भी कहते है। ये बम इतने खतरनाक होते है कि अगर कही गिरा दिए जाएं तो दशकों तक जन—जीवन के साथ—साथ पेड़—पौधे भी नहीं उग सकते।
नोट:
अमेरिका ने 1945 में जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर 4,400 किलोग्राम वजनी परमाणु बम गिराया था।
रूस द्वारा तैयार हाइड्रोजन बम में टीएनटी नामक विस्फोटक का इस्तेमाल हुआ था।
यह बम इतना शक्तिशाली है कि पलक झपकते ही दिल्ली जैसे शहर को तबाह कर सकता है।
इसे थर्मोन्यूक्लियर विपन,संलयन बम या हाइड्रोजन बम कहा जाता है।
यह परमाणु बम से ज्यादा घातक होता है।
हाइड्रोजन बम नाभिकीय संलयन के सिद्धांत पर कार्य करता है।
अमेरिका, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और रूस के पास हाइड्रोजन बम है।
वर्ष 2017 में उत्तर कोरिया भी इसका परीक्षण कर चुका है।