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Triple Talaq : मुस्लिम महिला अधिकार दिवस, 3 तलाक से जुड़ी हर एक अपडेट

31 जुलाई से 1 अगस्त तक अल्पसंख्यक मंत्रालय की ओर से मुस्लिम महिला अधिकार दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। 1 अगस्त को ईद होने के कारण इस वर्ष 31 जुलाई को यह अधिकार दिवस मनाया जा रहा है। 1 अगस्त के दिन केन्द्र की मोदी सरकार ने 2019 में तीन तलाक बिल पास कराया था। तीन तलाक बिल की सफलता को जन—जन तक पहुंचाने के लिए केन्द्र सरकार एवं भाजपा इसके जश्न की तैयारी/दिवस के रूप में मनाने जा रहीं है। इसके लिए केन्द्र सरकार मुस्लिम महिलाओं के द्वारा विचार गोष्ठी का आयोजन कर रहीं है, जिसमें तीन तलाक बिल के फायदे बताएं जाएंगे।

इस दिन मुस्लिम महिलाओं के लिए किए गए काम और तीन तलाक पर केन्द्र सरकार अपनी जीत और कांग्रेस की पूर्व सरकारों की हार के तौर पर देख रही है। वर्ष 2019 में इस बिल को सदन में लाए जाने पर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और जनता दल यूनाइटेड के सांसदों ने लोकसभा ने वाकआउट कर दिया था।
केन्द्र सरकार का मानना है कि पिछले एक वर्ष में तीन तलाक के मामलों में लगभग 82 प्रतिशत की कमी आई है। इस प्रथा के कारण मुस्लिम महिलाओं पर बड़े पैमाने पर अत्याचार हो रहें थे, बात—बात में उनको तलाक देकर उनका शोषण किया जाता था। मुस्लिम महिलाओं को नरक की जिंदगी जीने पर मजबूर किया जाता था।

तीन तलाक का मतलब

मुस्लिमों में इस बिल के लागू होने के पहले मान्यता थी कि यदि पुरूष उसे तीन बार तलाक बोल देता, लिखकर दे देता है तो वह महिला उस व्यक्ति की पत्नी नहीं रह जाती थी और न्यायालय इस पर कोई बड़ी कार्रवाई करने में असमर्थ हो जाता था। क्योंकि इसे धार्मिक मामला बताकर तीन तलाक को रद्दी में ड़ाल दिया जाता था।

शाहबानों केस
शाहबानों केस में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने तीन तलाक पर उचित फैसला सुनाया था। जिसमें तीन तलाक को अवैध करार दिया गया था, लेकिन उस समय केन्द्र में कांग्रेस की पूर्ण बहुमत वाली सरकार थी, प्रधानमंत्री राजीव गांधी थे, उस समय कांग्रेस को लोकसभा में 545 में से 400 से अधिक सदस्य थे और राज्यसभा में 245 में से 159 सदस्य थे। अर्थात किसी भी निर्णय/बिल को जैसे चाहे वैंसे पारित कर सकते थे। उस समय की राजीव गांधी सरकार ने इस बहुमत का इस्तेमाल करते हुए सर्वोच्च न्यायालय के फैसलें को संसद में विधेयक के द्वारा पलट दिया और तीन तलाक बिल लागू नहीं हो सका।

विश्व के देशों में तीन तलाक की स्थिती
विश्व के कई प्रमुख देशों में सालों पहले ही तीन तलाक प्रथा को गैरकानूनी एवं गैर इस्लामिक घोषित कर दिया था। मिस्त्र विश्व का पहला इस्लामिक देश है जिसमें वर्ष 1929 में हीं इसे गैर कानूनी एवं दंडनीय अपराध बना दिया था। 1929 में सूडान ने इसपर प्रतिबंध लगा दिया, पाकिस्तान जैसे देश ने 1956 में, बंगलादेश ने 1972 में, इराक ने 1959 में, सीरिया ने 1953 में मलेशिया ने 1969 में तीन तलाक पर पाबंदी लगा दी। साइप्रस, जॉर्डन, अल्जीरिया, ईरान, ब्रुनेई, कतर, मोरक्को, संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों ने भी इसपर पाबंदी लगा रखी है।

तीन तलाक बिल की मुख्य बातें

  • यह बिल लोकसभा में 25 जुलाई को पास हुआ थाराज्यसभा में 30 जुलाई को पास हुआ था 1 अगस्त को राष्टपति रामनाथ कोविंद के हस्ताक्षर के बाद यह कानून बना था।
  • इस बिल के लागू होने के बाद कोई भी मुस्लिम व्यक्ति अपनी पत्नी को तीन बार तलाक बोलकर, लिखकर, पर्चा देकर तलाक नहीं दे सकेगा।
  • केन्द्रीय कानून मंत्री ​रविशंकर प्रसाद ने इस बिल को सदन में पेश किया था।
  • तुरंत तीन तलाक या तलाक—ए—विद्दत को गैर कानूनी बताया गया।
  • तुरंत तीन तलाक को संज्ञेय अपराध बताया गया अर्थात पुलिस बिना वारंट के भी गिरफ्तार कर सकती है।
  • तीन वर्ष तक सजा का प्रावधान है।
  • मजिस्ट्रेट आरोपी को जमानत दे सकता है। जमानत तभी हो सकेगी जब पीड़ित महिला का पक्ष सुन लिया जाएगा।
  • पीड़ित महिला के अनुरोध पर ​मजिस्ट्रेट समझौते की अनुमति दे सकते है।
  • पीड़ित महिला पति से गुजारा भत्तें का दावा कर सकती है।

आंकड़ों से समझे

तीन तलाक (तलाक—ए—विद्दत) की घटनाओं के आंकड़े, ये आंकड़ं वक्फ बोर्ड, अल्पसंख्यक आयोग एवं लोकल प्रशासन के आंकड़े है। ये आंकड़े वर्ष 1985 के बाद के है—

राज्य                     2019 के पहले         2019 के बाद 
उत्तर प्रदेश             63,400                      281

तेलंगाना,आंध्रप्रदेश   41,382                     203

पश्चिम बंगाल      51,800                         201

महाराष्ट्र               39,200                       102

राजस्थान              33,122                          83
बिहार                      38,617                       49

मध्य प्रदेश          22,801                           32

हरियाणा                29,201                          26
तमिलनाडु            21,200                         26

केरल                    22,233                         19

असम                  19,008                          17

सरकार की ओर से जारी आंकडों के अनुसार उत्तर प्रदेश में पहले हर वर्ष 1864 मामलें सामने आते थे वहीं तीन तलाक बिल लागू होने के बाद सिर्फ 281 मामले आते है। तीन तलाक में बड़े पैमाने पर गिरावट देखने को मिल रहीं है।
केन्द्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के द्वारा जारी आंकड़ें
अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी का कहना है कि पिछले 6 वर्षो में उनकी सरकार ने 3 करोड़ 87 लाख अल्पसंख्यक छात्र—छात्राओं को स्कॉलरशिप प्रदान की गई है, जिसमें 60 प्रतिशत लड़किया है। बिना मेहरम के हज पर जाने वाली मुस्लिम महिलाओं की संख्या 3 हजार 40 हो गई है। वर्ष 2020 में 23 सौ से अधिक मुस्लिम औरतों ने बिना मेरहम के हज पर जाने के लिए आवेदन किया था।

केन्द्र सरकार ऐसे रखेगी पक्ष कि मुस्लिमों के साथ भेदभाव नहीं हुआ
अल्पसंख्यक मंत्रालय ने आंकड़ा पेश करते हुए कहा ​है कि 2 करोड़ गरीबों को मकान दिया गया है जिसमें 31 प्रतिशत अल्पसंख्यक विशेषकर मुस्लिम समुदाय से है। 22 करोड़ किसानों को किसान सम्मान निधि के तहत फायदा पहुंचा गया, जिसमें 33 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम समुदाय के है। 8 करोड़ से अधिक महिलाओं को उज्जवला योजना के तहत फ्री गैस कनेक्शन दिए गए जिसमें से 37 प्रतिशत अल्पसंख्यक समुदाय के गरीब परिवार है।

नोट: 1 अगस्त 2020 को पहली बार मुस्लिम महिला अधिकार दिवस मनाया जाएगा।
यह दिवस प्रति वर्ष 1 अगस्त को मनाया जाएगा।

मिस्त्र विश्व का पहला इस्लामिक देश है जिसमें वर्ष 1929 में हीं इसे गैर कानूनी एवं दंडनीय अपराध बना दिया था।
मेहरम — पुरूष (पति, रिश्तेदार या अन्य)

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