मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का 21 जुलाई 2020 को सुबह निधन हो गया। वे 85 साल के थे। लालजी टंडन बीते कई दिनों से बीमार चल रहे थे और उनका इलाज लखनऊ में चल रहा था। लालजी टंडन के बेटे और उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री आशुतोष टंडन ने ट्विटर पर अपने पिता की मृत्यु की पुष्टि करते हुए लिखा कि- ‘बाबूजी नहीं रहे’।
लालजी टंडन को 11 जून को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के बाद लखनऊ के अस्पताल में भर्ती किया गया था। उनकी अनुपस्थिति में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को मध्य प्रदेश के राज्यपाल का अतिरिक्त दायित्व सौंप दिया गया था। उनके निधन पर यूपी में तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया है।
लंबे समय से बीमार थे लालजी टंडन
लालजी टंडन लंबे समय से बीमार थे। उन्हें सांस लेने में परेशानी थी और किडनी में दिक्कत थी। यही कारण रहा कि पहले उन्हें 11 जून को अस्पताल में भर्ती कराया गया, फिर उनका ऑपरेशन भी किया गया। लखनऊ के एक अस्पताल में लगातार बड़े डॉक्टर उनकी देखभाल में जुटे हुए थे, हालांकि उनकी हालात लगातार गंभीर बनी हुई थी।
लालजी टंडन के बारे में
लालजी टंडन का जन्म 12 अप्रैल 1935 में हुआ था। अपने शुरुआती जीवन में ही लालजी टंडन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे। उन्होंने स्नातक तक पढ़ाई की। इसके बाद 1958 में लालजी टंडन का कृष्णा टंडन के साथ विवाह हुआ था। लालजी शुरू से ही अटल बिहारी वाजपेयी के काफी करीब रहे। लालजी टंडन को बेहद सामान्य जीवनशैली वाला नेता माना जाता था। उन्होंने कल्याण सिंह सरकार और मायावती सरकार में बतौर मंत्री भी काम किया। लालजी टंडन का राजनीतिक सफर साल 1960 में शुरू हुआ था। उन्होंने इंदिरा गांधी की सरकार के खिलाफ जेपी आंदोलन में भी बढ़-चढकर हिस्सा लिया था। लालजी टंडन को साल 2018 में बिहार का गवर्नर बनाया गया था। उन्हें इसके बाद साल 2019 में मध्य प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। वे साल 1996 से साल 2009 के बीच तीन बार उत्तर प्रदेश से ही विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए थे।