दक्षिण—पूर्व एशिया क्षेत्र के मालदीव और श्रीलंका ने चिकित्सा के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। इन दोनों देशों ने अपने यहां से खसरा और चेचक पर विजय प्राप्त कर ली है। इन देशों ने 2023 तक इसे खत्म करने का लक्ष्य रखा था जबकि इन्होंने समय से पहले ही इसे हासिल कर लिया है। इसकी घोषणा विश्व स्वास्थय संगठन के दक्षिण—पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक डॉक्टर पूनम खेत्रपाल सिंह ने चेचक और खसरा उन्मूलन के लिए बुलाई गई आयोग की 5वीं बैठक के बाद की।
कब आया अंतिम मामला
मालदीव में चेचक का अंतिम मामला वर्ष 2009 में और खसरा का अक्टूबर 2015 में सामने आया था। श्रीलंका में चेचक का अंतिम मामला मई 2016 में एवं खसरा का मार्च 2017 में आया था।
चेचक
चेचक एक प्राचीन रोग है जिसका वर्ण आयुर्वेद में भी मिलता है। यह बिमारी केवल मनुष्यों में पाई जाती है जो वायरोला मेजर और वायरोला माइनर के कारण फैलती है। इससे बचने का सबसे अच्छा उपाय टीका लगवाना है। टीके को लगाने के बाद व्यक्ति में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है जो व्यक्ति को बचाएं रखती है। बच्चों को प्राथमिक चिकित्सा केन्द्रों एवं स्कूलों में इसके टिके लगवाएं जाते है, माता—पिता को ये टीक समय पर लगवा लेने चाहिए जिससे वे आजीवन इस बिमारी से बचे रहें।
इसके अन्य नाम
चेचक को गांव में छोटी माता, बडी माता कहा जाता है। अंग्रेजी में इसे चिकन पॉक्स या लाल प्लेग कहा जाता है।
चेचक एक विषाणु जनित रोग है। इस बिमारी में व्यक्ति के खास हिस्से या पूरे शरीर में छोटे—बड़े दाने निकल जाते है, परिवार में एक सदस्य को हो जाने के बाद पूरे परिवार या आस—पास के सदस्यों के भी संक्रमित होने का खतरा बना रहता है।
एडवर्ड जेनर ने इसके टीके की खोज की थी।
खसरा
खसरा (मिजल्स) श्वसन के जरिए फैलने वाला सक्रामक रोग है जो मारबिली वायरस के कारण फैलता है। खसरा के प्रमुख लक्षण चार दिन तक बुखार, लगातार नाक बहना, हमेशा आंखो का लाल होना, सर्दी, जुकाम, खांसी है। इसके निदान के लिए एमएमआर वैक्सीन का इस्तेमाल किया जाता है। यह भी बच्चों को टीका के रूप में लगाया जाता है।