21वीं सदी के इस दशक में भारत को बेहद चौकन्ना रहते हुए अपनी सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करना है, जिसमें सेनाओं को हथियार, साजो—सामान, रक्षा उपकरण एवं जवानों की ट्रेनिंग से लैंस करना शामिल है। इसी को ध्यान में रखते हुए भारत को बेहतर रक्षा उपकरणों से लैंस किया जा रहा है जिसमें एस—400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की बेहद अहम जिम्मेवारी होंगी। इस तकनीक से भारत की हवाई सीमा पूर्णत: सुरक्षित होंगी।
एस—400 डिफेंस सिस्टम
एस—400 डिफेंस सिस्टम एक मिसाइल वायु रक्षा तकनीक है, जो दुश्मन देश की बैलिस्टिक मिसाइल, क्रूज, एयरक्राफ्ट, लडाकू विमान, बम, ड्रोन को हवा में ही नष्ट कर देता है। यह तकनीक रूस के हीर—300 का उन्नत रूप है। इस मिसाइल सिस्टम को अल्माज आते ने तैयार किया है। यह रक्षा प्रणाली वर्ष 2007 से ही रूस की रक्षा में सेवारत है। एस—400 सिस्टम भारत की अभेद्द ताकत होगीं जो अकेले एक आर्मी के समान होगी।
भारत के पास दो धुर्त पड़ोसी चीन और पाकिस्तान के रूप में जो परमाणु हथियारों से सक्षम है। युद्ध के माहौल में इन जैसे दुश्मनों से निपटने के लिए यह तकनीक काफी कारगर है। इस एयर डिफेंस सिस्टम का तोड़ विश्व के किसी भी देश के पास नहीं है। गलवान घाटी में चीन से बिगड़े माहौल और पीओके में पल रहे आतंकवाद के समूल नाश के लिए इसका महत्व काफी बढ़ गया है।
भारत का करार
भारत 5.43 अरब डॉलर से एस—400 सिस्टम की 5 यूनिट का करार कर चुका है जिसमें से दो यूनिट 2021 तक भारत आ जाएगी। यह रक्षा तकनीक मल्टी फंक्शन रडार से लैंस है। दुनिया का सबसे बेहतरीन फाइटर जेट जैसे— अमेरिका के एफ—35 औरएफ —16 इसके हमले को झेल नहीं पाएंगे। चीन एवं पाकिस्तान की रक्षा तकनीक इसके आगे आत्मसमर्पण कर देंगी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के वर्तमान रूस दौरे के बाद इसे जल्दी आने की संभावना बढ़ गई है। भारत अपने सर्वाधिक हथियार एवं रक्षा उपकरण रूस से ही खरीदता है, लगभग 58 प्रतिशत रक्षा उपकरणों की खरीद भारत रूस से करता है।
कार्य कैसे करता है
यह मिसाइल सिस्टम सबसे पहले किसी भी टारगेट को देखता/स्पॉट करता है, डिटेक्ट/पता लगाता है, मॉनिटर/निरीक्षण करता है, लोकेशन ट्रैक कर टारगेट को पलक झपकते ध्वस्त कर देता है। एस—400 सिस्टम आसमान में दिखने वाली छोटी से छोटी वस्तु जैसे— फुटबाल के आकार के टारगेट को भी ध्वस्त कर सकती हैै।
एस—400 मिसाइल सिस्टम की खास बातें
एस—400 तकनीक की सबसे खास बात है कि इसे एक जगह से दूसरी जगह ले जाना काफी आसान है, इसे मात्र तीन सैन्य कर्मी संभालते हैं जिसमें एक अफसर और दो जवान होते है। इसे भारतीय सेना के तीनों अंगो (थल सेना, जल सेना और वायु सेना) में तैनात किया जा सकता है। रडार को चकमा देने वाली दुश्मन देशों की एयरक्राफ्ट और मिसाइल तकनीक या ड्रोन इससे बच नहीं पाएंगी। इसे मिशन मोड़ में सक्रिय होने में मात्र 5 मिनट का समय लगता है। इस तकनीक की टारगेट स्पीड 4.8 किलोमीटर/सेकेण्ड है। एस—400 रक्षा तकनीक 600 किलोमीटर तक सटीक नजर बनाएं रख सकती है। एक राउंड में 36 हमले कर सकते है/ दुश्मन के हमले को फेल कर सकता है। 400 किलोमीटर तक दूर स्थित किसी भी मिसाइल सिस्टम, ड्रोन, एयरक्राफ्ट को ध्वस्त कर सकता है। यह तकनीक कम दूरी से लेकर अधिक दूरी तक के किसी भी निशाने को तबाह कर सकती है। इसकी नजरों से पार पाना किसी के भी बस की बात नहीं है।
पहले से भारत में मौेजूद रूसी तकनीक
भारत पहले से ही रूस में निर्मित/रूस के सहयोग से निर्मित आईएनएस तलवार , त्रिकुश, तेग ओर त्रकंड की सेवा ले रही हैं। कॉमोव हेलिकॉप्टर, सुखोई, मिग सीरिज के लड़ाकू विमान रूस निर्मित ही है। भारत की स्वदेश निर्मित आकाश मिसाइल रक्षा प्रणाली की मारक क्षमता मात्र 25 किलोमीटर है।