भारतीय वायु सीमाओं के बेहतरीन रक्षकों में से एक, जिसका जवाब चीन, पाकिस्तान, नेपाल के पास नहीं है, जिसकी रफ्तार और अचुक निशाने भारतीय पाइलटों के अदम्य साहस और कौशल को और बढ़ाते हैै, जिसकी क्षमता पर पूरे भारतवर्ष को गर्व है। आइये आज जानते है उस लड़ाकु योद्धा सुखोई के बारे में—
सुखोई निर्माता कंपनी
सुखोई कंपनी के संस्थापक पावेल सुखोई है, इसकी स्थापना 1939 में की गई थी। जेएससी सुखोई रूस की एक दमदार कंपनी है, जो एयरक्राफ्ट का निर्माण करती है। इस कंपनी का मुख्यालय बेगोवॉय जिले में है। सुखोई एसयू—27 सुखोई—35, सुखोई —57 इसके अन्य आधुनिक जेट है। भारत में सुखोई—30 का निर्माण सुखोई रसिया और हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के द्वारा किया जाता है।
लडाकु योद्धा सुखोई के बारे में
सुखोई लड़ाकू विमान का उपयोग भारतीय वायुसेना के बेहतरीन पायलट के द्वारा किया जाता है। यह लड़ाकु जेट किसी भी मौसम में या किसी भी परिस्थिति में अपनी सेवा दे सकता है। इसका रेंज 3000 किलोमीटर तक है, इसका वजन 18400 किलो है। यह लडाकु विमान एक घंटे में 21 सौ 20 किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है। भारतीय वायुसेना इस जेट और अन्य जेट के साथ देश की वायु सिमाओं की सुरक्षा करती है। सुखोई —30 मल्टीरोल कम्बैट एयरक्राफ्ट है। 1 जुलाई 1997 को सुखोई—30 ने पहली उड़ान भरी थी। मार्च 2020 तक भारतीय वायुसेना के पास लगभग 272 सुखोई जेट थे, वर्ष 2014 तक एक सुखोई जेट की लागत लगभग 358 करोड़ रूपये आती थी। भारत सरकार का सुखोई के लिए वर्ष 2000 में 140 विमानों के लिए करार हुआ और 2002 में भारत को सुखोई लड़ाकू जेट मिल गए।
क्षमता
वर्तमान समय भारतीय वायुसेना में तैनात सुखोई लड़ाकू जेट में इजरायली और फ्रांंसीसी तकनीक से भी लैस कर दी गई है। इस जेट में ब्रह्मोस मिसाइल की तैनाती भी की गई है जो किसी भी दुश्मन को पलक झपकते दबाह कर सकता है। भारतीय सीमा में रहते हुए भी इस सुखोई में तैनात इस मिसाइल से 290 किलोमीटर दूर बैठे दुश्मन को तबाह किया जा सकता है। आधुनिक रडार, बमवर्षक हथियार एवं तकनीक से लैस है सुखोई। सुखोई दुश्मन के रडारों को चकमा देने में सक्षम है। सुखोई भारत के मजबूत योद्धा में से एक है। सुखोई—30 का उत्पादन 1995 में एचएएल और रूसी कंपनी के तहत शुरू किया गया। यह विमान टाइटेनियम और उच्च क्षमता वाले एल्यूमिनियम मिश्रणों से बना हुआ है।
सुखोई का कीर्तिमान
डयूटी में आने के बाद से ही इस लड़ाकू जेट ने भारत के मान—सम्मान को वायु अभ्यास में बढ़ाया है। बालाकोट एयर स्ट्राइक के दो दिन बाद यानी 27 फरवरी 2019 को सुखोई ने भारतीय वायु सीमा की रखवाली में अहम भूमिका निभाई थी इस दिन सुखोई ने पाकिस्तान के एफ—16 लड़ाकु विमान द्वारा दागे गए आमराम मिसाइल को नष्ट कर दिया था। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 4 मार्च 2019 को सुखोई—30 ने भारतीय सीमा में घुसे पाकिस्तानी ड्रोन को मार गिराया था।
भारत—चीन, भारत—पाक के दरम्यान किसी भी बड़े विवाद की स्थिति में सुखोई की अहम भूमिका रहेंगी। भारत की ओर आंख दिखाने वालों दुश्मनों को भारत के इस विध्वंसक से कोई नहीं बचा पाएगा। सुखोई—30 भारतीय वायु सीमा की सुरक्षा की एक तरह से गारंटी है जमीन से लेकर आसमान तक भारत की सीमाएं चाकचौबंद है। गालवान घाटी में हुए खुनी संघर्ष के बाद भारतीय लड़ाकू जेट बदला लेने के लिए तैयार है।
वर्तमान करार
भारत रूस से 21 मिग—29 और 12 सुखोई —30एमकेआई लडाकू जेट खरीदने जा रहा है। इसके लिए लगभग भारत सरकार ने 6000 करोड़ रूपये का करार किया है।
नोट: भारतीय वायुसेना के वर्तमान चीफ आर. के. एस. भदौरिया है। हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड का मुख्यालय बंगलौर, कर्नाटक में है। यह रक्षा मंत्रालय के तहत कार्य करता है।