भारतीय सेना : जाट रेजिमेंट
किसी भी देश की सेना (फौज) अपने देश, नागरिकों और अपने संसाधनों की सुरक्षा एवं समृद्धि के बढ़ाए रखने वाला पेशेवर बल हेाता है। सुरक्षा के लिए वह घातक अस्त्र—शस्त्र का प्रयोग भी करता है। भारतीय सेना विश्व की सर्वश्रेष्ठ सेनाओं में गिनी जाने वाली पेशेवर सेना है। जो अपने नागरिकों,संसाधनों एवं मातृभूमि की रक्षा के लिए सदैव तैयार रहती है। भारतीय सेना ने देश की आन—बान,शान के लिए कई महत्वपूर्ण युद्ध लड़े है और भारत को विजय दिलायी हैैं। भारतीय सेना मातृभूमि की रक्षा, शत्रुओं को अपनी भूमि से भगाना, दुश्मनों के नापाक हरकत का मुंहतोड़ जवाब देना, आपदा के समय देश के नागरिकों का बचाव करती है।
भारतीय सेना को कार्य की सुविधा के लिए कई रेजिमेंट में बांटा गया है। भारतीय सेना में आर्म्ड रेजिमेंट, इनफेंटरी रेजिमेंट, आर्टीलरी रेजीमेंट, कॉर्पस आफ आर्मी एयर डिफेंस, अभियांत्रिक दस्ता है।
जाट रेजिमेंट एक परिचय
जाट रेजिमेंट भारतीय सेना की इनफेंटरी रेजिमेंट (पैदल सेना) का भाग है। इस रेजिमेंट की स्थापना अंग्रेजी शासन काल में 1795 में हुई थी। यह रेजिमेंट सबसे लंबे समय से कार्यरत और विश्सनीय, सम्मानीय रेजिमेंट में से एक है। इस रेजिमेंट ने 1839—1847 तक 19 युद्धक सम्मान प्राप्त किए है। भारत की आजादी 1947 के बाद इस रेजिमेंट को 5 युद्धक सम्मान, दो विक्टोरिया क्रास, दो अशोक चक्र, आठ महावीर चक्र, आठ किर्ती चक्र , 32 शौर्य चक्र, 39 वीर चक्र और 170 सेना मेडल से सम्मानित किया जा चुका है।
इस रेजिमेंट ने अपने 200 वर्षो के सेवा काल में कई आपदा राहत कार्यो एवं सैन्य कार्यो में अपना योगदान दिया हैं। पूरे विश्व ने दोनों विश्वयुद्धों में राज रेजिमेंट के शौर्य का कमाल देखा है। जाट समुदाय मूलत: किसान और पशुपालक होता है, जो शारीरिक रूप से बेहद मजबूत होता है। इस समुदाय को लड़ाकु समुदाय माना जाता है। यह समुदाय हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुख्यत: बसा हुआ है और देश के अन्य भागों में इसे अन्य जातियों के नाम से जाना जाता है। जैसे—अहिर, ग्वाला, चौधरी इत्यादि। ऐसा कहा जाता है कि जब इस समुदाय को किसी युद्धक मिशन या राहत मिशन में लगाया जाता है तब सफलता निश्चित होती है। मुगल शासक औरंगजेब के बाद कुछ प्रमुख जाट राजा/लीडर हुए जिसमें राजाराम, चुरामन, बदन सिंह का नाम उल्लेखनीय है। इनके समय में जाटों की शक्ति अपने चरम पर रही।
जाटों का शौर्य
परमवीर चक्र विजेता कर्नल होशियार सिंह,महावीर चक्र विजेात लेफ्टिेनेंट जनरल खेम करन सिंह,ने जाटों का काफी सम्मान बढाया है। 1860 के बाद जाटों की कार्य क्षमता को देखते हुए ब्रिटिश सेना में इनकी संख्या बढ़ाई गई। भारत की आजादी के बाद 1947—48 में हुए भारत पाकिस्तान युद्ध, 1962 भारत—चीन युद्ध, 1967 भारत—चीन युद्ध, पकिस्तान के साथ हुए 1965 और 1971 के युद्ध में, श्रीलंका में शांति मिशन के तहत और सियाचीन के ग्लेशियर के युद्ध क्षेत्र में जाट रेजिमेंट ने अपने जज्बे और शौर्य के बलबूते भारत को विजय दिलाई। 1999 के कारगिल युद्ध में जाट रेजिमेंट की 5 टुकड़ियों ने अपने सैन्य कौशल से हिन्दुस्तान का मन मोह लिया था।
संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन के तहत इसने कोरिया और कांगो में अपने उच्च सैन्य प्रदर्शन को रखा था।
युद्धघोष
1955 में इस रेजिमेंट का अपना युद्धघोष (बैटल क्राई) “जाट बलवान जय भगवान बना”। इसका ध्येय “संगठन एवं वीरता” है। इसका तात्पर्य है कि यदि जाट बलवान है तो भगवान (देश) की हमेशा जय/विजय होगी।
रोचक तथ्य
इस संगठन का वार्षिक समारोह जुलाई में मनाया जाता है, इसका बटालियन मुख्यालय बरेली, उत्तर प्रदेश में है। परम विशिष्ठ सेवा मेडल, अति विशिष्ठ सेवा मेडल, युद्ध सेवा मेडल, विशिष्ठ सेवा मेडल इत्यादि से सम्मानित जनरल सतिंदर कुमार सैनी इसके वर्तमान वाइस चीफ आफ आर्मी स्टॉफ है। परमवीर चक्र सेना का सर्वश्रेष्ठ मेडल है।
जाट पूर्णत: हिन्दु होते है। ये हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली उत्तर प्रदेश में है।
जाट रेजिमेंट की कुछ मुख्य बटालियन है—
सेना में नियुक्ति हो जाने के बाद जवानों को अलग—अलग बटालियन में तैनात किया जाता है, बटालियन में भेजने के लिए उनकी जाति या धर्म कोई खास मायने नहीं रखती बल्कि उनके कार्य कौशल महत्वपूर्ण होते है।
12 वीं बटालियन (पलटन) इसमें भारत की सभी जातियों से बेहतरीन युवाओं की नियुक्ति होती है।
15वीं बटालियन इस बटालियन में अहिर, जाट, गुर्जर और राजपुत समुदाय से जुड़े युवाओं को तैनात किया जाता है। यह इन समुदायों की मिली जुली टुकड़ी होती है।
20वीं बटालियन इस बटालियन में जाट, डोगरा, गढ़वाल और मराठा युवाओं की तैनाती की जाती है।
एक बटालियन में 300—800 सैन्य बल होते है।
वर्तमान में इस रेजिमेंट के पास लगभग 34 सक्रिय बटालियन है। जिसमें तीसरी बटालियन सबसे पुरानी है।
जाट रेजिमेंट की 21 वीं बटालियन को इंदिरा गाँधी पर्यावरण पुरस्कार 2010 से सम्मानित किया गया था।
राजपूताना रेजिमेंट भारत की सबसे पुरानी रेजिमेंट है।