चीन की हकीकत
चीन एक कम्यूनिस्ट देश है, उसकी सारी कार्यप्रणाली अर्थव्यवस्था को लक्ष्य लेकर चलती है, चीन में आजादी का मतलब सिर्फ कम्यूनिस्ट शासन के हुक्म को मानना है। वहां किसी भी आजादी की कल्पना करना मौत के मुंह में जाने के समान है। जैसा आज से लगभग 30 वर्ष पहले हुआ था।
तियानमैन नरसंहार
4 जून 1989 को चीन के एक उदारवादी नेता हू याओबैंग की मौत के खिलाफ हजारों छात्रों एवं आम जनता ने बीजिंग के तियानमैन चौक पर प्रदर्शन किया था। जो चीनी सरकार को कतई पसंद नहीं आया। वह अपने यहां किसी भी तरह के आंदोलन को पसंद नही करता। तियानमैन में हो रहे शांतिपूर्ण आंदोलन को दबाने के लिए वहां की सरकार ने सेना को उतार दिया और सारे अधिकार उन्हें दे दिए। सेना को अपने ही लोगों पर आधुनिक हथियार एवं टैक तक चलाने की छूट मिल चुकी थी। इस प्रदर्शन को दबाने के लिए सेना ने निहत्थे छात्रों एवं आम लोगों पर गोलियों की बौछार करा दी जिसमें 10 हजार से अधिक छात्र मारे गए एवं बहुत से घायल होगए। ब्रिटिश एवं यूरोपीय मीडिया रिपोर्ट के अुनसार। जबकि चीन के निवासियों के अुनसार इसमें 3 हजार लोग मारे गए थे, इसके उलट चीन की सरकार कहती है कि तियानमैन में 200—300 लोग मारे गए। बीते 4 जून को जब इसकी 30वीं बरसी मनाई जा रही थी तब इसको मद्देनजर चीन बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों को तैनाती कर दी थी। तियानमैन चीन की राजधानी बीजिंग का एक चौक है।
चीन का अडियल रवैया
तियानमैन कांड को लेकर चीन की काफी किरकिरी हुई है, सभी देशों एवं मानवाधिकार कार्यकर्ताअेां ने इस कांड को लेकर चीन पर आज भी सवाल खड़ा करते रहते है। इस घटना के बाद से ही चीन की कम्यूनिस्ट सरकार इस मामलें में न तो कोई सम्मेलन होने देती है, न ही इसकी रिसर्चं। हत्या के आंकड़ों को छिपाने में चीन को तो पहले से ही महारत हासिल है उसी का परिणाम है कि आजतक इससे जुड़े कोई रिसर्च सामने नहीं आ पाती। अभिव्यक्ति की आजादी की बात करना चीन में यमराज को बुलाने के समान है। वहां के रक्षामंत्री तक तियानमैन कांड को उचित बता चुके है। टोरंटो यूनिवर्सिटी और हांगकांग यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट के अनुसार चीन ने 3200 से अधिक सबूतों को दबा दिया है। यदि तियानमैन चौक पर कोई विदेशी या चीनी मिडिया जाना चाहे तो भी वह नहीं जा सकता क्योंकि चीन इसे अपने देश के सम्मान से जोड़कर देखता है। तियानमैन घटना के समय एक छात्र पिपुल्स लिबरेशन आर्मी के टैंक के सामने आकर खड़ा हो गया था उस तस्वीर को आज भी गॉडेस आफ डेमोक्रेसी या लोकतंत्र की देवी कहा जाता है।
1949 के बाद चीन
1949 में छिड़े गृहयुद्ध के बाद कम्यूनिस्ट पार्टी आफ चाइना ने जीत हासिल करने के बाद माओत्से तुंग के नेतृत्व में पीपुल्स रिपब्लिक आफ चाइना की स्थापना की थी। किंतु वहां की जनता इस सरकार से खुश नहीं थी। रह रह कर इसके खिलाफ आवाज उठती रहती थी। तियानमैन कांड इसी का हिस्सा था। चीन में आज भी आजादी नाम मात्र की है। वहां राष्ट्रगान का विरोध करने पर 3 साल की जेल और जुर्माना हो सकता है। चीन के उइगर मुस्लमान अपनी मर्जी से अपनी पूजा भी नहीं कर सकते है, देश और सेना के विरोध में लिखना, बोलना एक बड़ा अपराध है। सोशल मीडिया के माध्यम यूटयुब्, फेसबुक, टिवट्रर और अन्य माध्यमों पर पाबंदी है इसके लिए वह अपने सोशल मीडिया अकाउंट उपयोग करने की सलाह देता है। इन ऐप की मदद से वह अपने नागरिकों पर निगरानी भी रखता है। इन सोशल मीडिया अकाउंट पर देश के खिलाफ कुछ भी कहना सलाखों के दर्शन करा सकते है।
चीन के बारे में
चीनी गणवादी राज्य जिसे आम भाषा में चीन भी कहा जाता है। यह पूर्वी एशिया का एक देश है। जिसकी सीमाएं 13 देशों के साथ लगती है। इसके पास विश्व की सबसे अधिक मानव जनसंख्या 139.27 करोड़ है। क्षेत्रफल के मामले में रूस, कनाडा और अमेरिका के बाद चौथे स्थान पर आता है। चीन का क्षेत्रफल 9.6 मिलियन वर्ग किलोमीटर है। इसके राष्ट्रपति शी जिनपिंग है। चीन में एक बार राष्ट्रपति सदा राष्ट्रपति की परंपरा है। चीन का उत्तर कोरिया और पाकिस्तान के अलावा सभी देशों से किसी न किसी मामले को लेकर खीचातानीं है, कई देशों से यह आपसी झड़प करते रहता है।