आत्मनिर्भर बनेगा अन्नदाता
भारत सरकार ने किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक ऐतिहासिक कानून पास किया हैैै। जिसके तहत मंडियों और इंस्पेक्टर राज को हटाया जा सकता है। किसानों को बिचौलियों से मुक्ति मिल जाएगी। किसान खुशहाल होगा और नरेन्द्र मोदीसरकार का किसानों की आय 2022 तक दुगुुना करने की योजना साकार हो सकेगी। जिससे देश का किसान, जो दिन—रात अपने खेतों में खून—पसीना एककर देश का पेट भरता है वह भी अमीर बनने का सपना देख सकेगा और बन भी सकेगा,उसे किसी साहुकार के पास अपनी संपत्ती गिरवी नहीं रखनी पड़ेगी। इसे अपनी फसल का उचित मूल्य मिल सकेगा।
अध्यादेश
अध्यादेश ऐसा कानून होता है जिसे भारत सरकार के केन्द्रीय मंत्रीमंडल की सिफारिश पर राष्ट्रपति ने अपनी मुहर लगा दी हो। इसका संसद में पास हुए अधिनियम की तरह ही महत्व होता है। यह केवल तभी जारी किया जा सकता है जब संसद नहीं चल रहा हो। इससे सरकार को तत्काल कानूनी कारवाई के लिए सक्षम बनाता है। अनुच्छेद 123 के तहत राष्ट्रपति के पास अध्यादेश जारी करने की शक्ति होती है। अध्यादेश विशेष स्थिति में लाया जाता है।
एक देश एक बाजार कानून पास
देश के किसानों के लिए एक देश एक बाजार कानून का रास्ता साफ हो गया है। केन्द्रीय मंत्रीमंडल ने बुधवार को एपीएमसी मंडियों के बाहर बिना किसी अवरोध के व्यापार करने वाले को मंजूर कर लिया है। कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश,2020 राज्य सरकारों को मंडियों के बाहर कृषि पैदावार को बेचने और खरीदने पर कर लगाने से रोकता है तथा किसाना बंधुओं को लाभकारी मूल्य पर अपनी पैदावार बेचने की आजादी देता है।
इसकी घोषणा कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने की। उन्होंने कहा कि भारत तो 1947 में आजाद हो गया था लेकिन भारत का किसान आज आजाद हो रहा है। मौजूदा एपीएमसी मंडियां अपना काम जारी रखेंगी। राज्य एपीएमसी कानून बना रहेगा। लेकिन मंडियों के बाहर अध्यादेश लागू होगा। अर्थात मंडी के बाहर किसानों पर किसी तरह का दवाब नहीं होगा। वे अपनी मर्जी से अपना उत्पाद बेच सकेंगे। इससे एपीएमसी मार्केट क्षेत्र के बाहर अतिरिक्त व्यापारिक अवसर पैदा करना है, जिससे अतिरिक्त प्रतिस्पर्धा के कारण किसानों को लाभकारी मूल्य मिल सकें। इस अध्यादेश के अनुसार पैन कार्ड वाला कोई भी किसान, प्रोफेसर, कंपनियाँ और एफपीओ अधिसूचित मंडियों के परिसर बाहर बेच सकेंगे। खरीदारों को तत्काल या तीन दिन के भीतर किसानों को भुगतान करना होगा और सामान की डिलीवरी के बाद एक रसीद प्रदान करनी होगी। मंडियों के बाहर व्यापार करने के लिए कोई इंस्पेक्टर राज नहीं होगा।
किसान अपने सामान को आनलाइन प्लेटाफार्म पर भी बेच सकेगा यहां भी उसे कोई कर नहीं देना होगा। 10 राज्यों की 177 मंडियों को राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई—नाम) से जोड़ा गया है। वर्तमान में इस पर खाद्यान, तिलहन, रेशे, सब्जियों और फलों सहित 150 वस्तुओं का व्यापार किया जा रहा है। इस पर एक हजार पांच से अधिक किसान उत्पादक संगठन रजिस्टर्ड है। 14 अप्रैल 2016 को इस पोर्टल की शुरूआत की गई थी। अध्यादेश लागू होने के बाद किसान की भूमि किसी विवाद की स्थिति में कोई दांव पर नहीं लगा सकेगा उप जिलाधिकारी और जिलाधिकारी की जिम्मेदारी होगी की वे ऐसे मामलों का जल्द से जल्द निपटारा करें। भारत में 85 प्रतिशत किसान छोटी जोत वाले है।
अभी तक किसानों को पूरे देश में फैली 6,900 एपीएमसी मंडियों में अपनी कृषि उपज बेचने की अनुमति थी। मंडियों के बाहर उत्पाद बेचने पर प्रतिबंध था।
स्वामीनाथन रिपोर्ट
स्वामीनाथन कमीशन का गठन 18 नवंबर 2004 को हुआ था। यह राष्ट्रीय कमीशन है किसानों के लिए। प्रोफेसर एम.एस. स्वामीनाथन की अध्यक्षता में इस समिति ने कार्य किया था। एम.एस. स्वामीनाथन तमिलनाडु के रहने वाले थे। ये पौधों के जेनेटिक वैाज्ञानिक थे। इन्होंने 1966 में मैक्सिकों के बीजों को पंजाब की घरेलू किस्मों के बीजों के साथ मिश्रित करके उच्च उत्पादक वाले संकर बीज विकसित किए थे। इन्हें हरित क्रांति का जनक कहा जाता है। इन्हें 1967 में पद्मश्री, 1972 में पद्म भूषण और 1989 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया जा चुका है। इनकी सिफारिशों को लागू नही किया गया था।
The farming Produce trade and commerce (Promotion and Facilitaion)
APMC Agricultural produce market committee