4 जून 2020 करेंट अफेयर्स क्विज
June 4, 2020
एक देश एक बाजार
June 4, 2020

वीर शिवाजी

वीर शिवाजी सिर्फ नाम नही यह वीरता की अमर कहानी है। हिंद स्वराज के संस्थापक, महान योद्धा, कुशल प्रशासक एवं रणनीतिकार, राजनीतिज्ञ, एवं राष्ट्रभक्त थे। छत्रपति शिवाजी महाराज भारतवर्ष के महानतम शासक है। इनका उदघोष था ‘जय भवानी’ था। इन्हेांने भगवा ध्वज के तले सारे युद्ध एवं शासन कार्य किए। लगभग 800 वर्ष लंबे गुलामी काल के बाद ​वीर शिवाजी महाराज के द्वारा हिन्दू साम्राज्य की स्थापना की गई थी। जिस दिन शिवाजी महाराज का राज्यभिषेक हुआ था। उस दिन को हिन्दू साम्राज्य दिवस के रूप में पूरे भारत में मनाया जाता है। वह दिन आज 4 जून ही है। ब्रिटिश संग्रहालय में आज भी छत्रपति शिवाजी महाराज का असली चित्र देखा जा सकता है।

जन्म
वीर शिवाजी महाराज का 19 फरवरी 1630 का महाराष्ट्र शिवनेरी दुर्ग में हुआ। इनके पिता शाहजी भोषले एवं मात जीजाबाई थी। शिवाजी महाराज के साहसी चरित्र और नैतिक बल पर उस समय के महान संत संत तुकाराम, समर्थ गुरूरामदास तथा उनकी माता जीजाबाई का अत्यधिक प्रभाव था।

छत्रपति शिवाजी राजे भोसले ने 1674 ई. में पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी शिवाजी का विवाह 14 मई 1640 में सईबाई निंबालकर के साथ लाल महल, पूना में हुआ था।  इन्होंने अपना पूरा शासन हिंदु पद्धति से चलाया किंतु यह भी सत्य है कि उनके विश्वासपात्रों में मुस्लिम भी थे, लेकिन ये मूस्लिम भारतीय थे और भारतीयता में विश्वास रखते थे।

माता जीजाबाई
माता जीजाबाई को जीजामाता भी कहा जाता है। ये शिवाजी की मार्गदर्श एवं प्रेरणास्त्रोत थी। इनका सारा जीवन त्याग और साहस से भरा हुआ है। जीजाबाई यादववंश की थी। माता जीजाबाई के पिताएक शक्तिशाली सामंत थे।

इनकी संतान सम्भाजी, राजाराम इत्यादि है। इसका संबंध भोसले खानदान से है। भारत की स्व्तंत्रता संग्राम में अनगिनत क्रांतिकारियों ने वीर शिवाजी से प्रेरणा ली थी। शिवेनरी दुर्ग पूना से उत्तर की ओर जुन्नर नगर के पास था। माता जीजाबाई ने शिवाजी को राजनीति, कुटनीति, युद्ध और देश—धर्म की शिक्षा बचपन से ही दी थी।

वीर शिवाजी का शासन

छत्रपति शिवाजी महाराज (1630—1680) भारत के एक महान थे। पंडित गंगाभट्ट ने सन 1674 ई. में रायगढ़ में इनका ​राज्यभिषेक हुआ था। इनकी प्रजा इन्हें छत्रपति कहा करती है, आज भी इन्हें छत्रपति शिवाजी महाराज कहा जाता है। इन्होंने अपने अनुशासित, संगठित और शौर्य से भरी हुई सेना एवं प्रशासकों के सहयोग से मुगलों के अत्याचार से कई प्रदेशों को मुक्त किया। इन्होंने प्राचीन हिन्दू रीति—रिवाजों, शौर्य गाथाओं एवं परंपराओं को पुनर्जीवित किया। इन्होंने फारसी के स्थान पर मराठी एवं संस्कृत को राजकाज की भाषा बनाया क्योंकि उस क्षेत्र के बहुसंख्यक जनसंख्या मराठी एवं संस्कृत भाषा में ही पली—बढ़ी थी। इसके पहले फारसी राजकीय भाषा थी।

इनके पहले शाहजी शासन कार्य देखा करते थे। ये शिवाजी महाराज के पिता एवं एक बहादुर सेनानायक थे। जीजाबाई इनकी पत्नी थी जो शिवाजी महाराज की माता थी।

सैनिक कार्य
उस समय बीजापुर का राज्य आपसी संघर्ष और विदेशी आक्रमणों के दौर से गुजर रहा था। इन्होंने मुगलों के वर्चस्व को मिटाने के लिए मावलोें एवं मराठा योद्धाअेां को संगठित किया। इन सभी को लेकर इन्होंने दुर्ग निर्माण का कार्य आरंभ किया। इस समय बीजापुर का सुल्तान आदिलशाह था उसके सामंत उसके इशारे पर काम किया करते थे। जब आदिलशाह बिमार पड़ा तब शिवाजी ने अवसर पाकर उसके दुर्गो पर ​अधिकार करना शुरू कर दिया। शिवाजी महाराज का पहला शिकार बना रोहिदेश्वर का दुर्ग, फिर तोरण का दुर्ग, कोंडना, चागन का दुर्ग इसके बाद यह सिलसिला जारी रहा। इन्होेंने आदिलशाह के अधिकारियों को रिश्वत देकर अपनी ओर मिलाना शुरू किया। मुगलों को लगान देना बंद ​कर दिया।

तानाजी मालूसरे
शिवाजी महाराज के मावला सेनापति तानाजी मालूसरे ने कोंढ़ाणा  के किले पर कब्जा कर लिया पर तानाजी इस युद्ध में शहीद हो गये। तानाजी की याद में कोंडना का नाम सिंहगढ़ रखा गया।

कुटनीति

कई मौकों पर इन्होंने कुटनीति के सहारे अपने दुश्मनों को ही आपस मेें ही लड़वा दिया। बीजापुर, मुगल और उनके सहायक वीर शिवाजी के मुख्य शत्रु थे। जब आदिलशाह की मृत्यु हो गई तब औरंगजेब ने बीजापुर पर आक्रमण कर दिया स्थिति को भांपते हुए वीर शिवाजी ने औंरगजेब पर ही आक्रमण कर दिया। यहां से बहुत सारे हाथी, घोड़े और अन्य संपत्तियाँ प्राप्त हुई। शाहजहां के आदेश पर औरंगजेब ने बीजापुर से संधि कर ली। इसके बाद शाहजहां बीमार पड़ने लगा तब औरंगजेब ने शाहजहां को कैद कर खुद मुगल साम्राज्य का बादशाह बन गया।
नौसेना के जनक
शिवाजी ने कल्याण और भिवंडी पर आक्रमण कर वहां अधिकार कर लिया उसके बाद इसे नौसैनिक अड्डे के रूप में विकसित किया। इनके पास एक सशक्त नौसेना थी। इन्हें भारतीय नौसेना का जनक भी कहा जाता है। इस समय तक ​वीर शिवाजी का लगभग 40 दुर्गो पर एकाधिकार था।
वीर शिवाजी और अफजल खां
शिवाजी की बढ़ते प्रभाव को देखते हुए बीजापुर के शासक ने अफजल खां को एक लाख बीस हजार की विशाल सेना देकर1659 में भेजा। अफजल खां मंदिरों को लूटता, तोड़ता आगे बढ़ने लगा। आगे चलकर एक संधि का प्रस्ताव रखा गया। जिस समय अफजल खां ने पहले शिवाजी महाराज पर हमला कर दिया जिसके जवाब में वीर शिवाजी ने अपने वाघनखों से ​अफजल खां को मार गिराया। अब पन्हाल का दुर्ग, पवनगढ़, वसंतगढ़, राजापुर इत्यादि इनके कब्जे में थे।
वीर शिवाजी और शाइस्ता खां
औरंगजेब ने शाइस्ता खां को वीर शिवाजी के साथ लड़ने के लिए डेढ़ लाख फौज देकर भेजा लेकिन शिवाजी की वीर सेना ने मुगलों को गाजर—मूली की तरह खुब काटा हालांकि शाइस्ता खां भाग गया किंतु उसकी चार अंगुलिया कट चुकी थी। इस युद्ध के बाद शिवाजी ने युद्ध में हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए मुगल क्षेत्रों को लूटना ​शुरू कर दिया। इनकी सेना ने कभी भी आम नागरिकों को परेशान नही किया।
शिवाजी का आगरा जेल से मुक्ति
इसके बाद एक युद्ध में शिवाजी को संधि करनी पड़ी जिसके कारण इनको काफी नुकसान हुआ। औरंगजेब ने शिवाजी को आगरा बुलाया और नजरबंद कर दिया और 5000 सैनिको का पहरा लगा दिया। औरंगजेब यहीं पर शिवाजी को मारना चाहता था। समय रहते शिवाजी इस स्थिति को भाप गए थे। शिवाजी महाराज अपने पुत्र के साथ अपने जज्बे और रणनीतिक कौशल के बल पर यहां से निगल गए। यह 1666 का वर्ष था। औरंगजेब ने अपने विश्वासी सेनापति जयसिंह पर शक कर विष देकर उसकी हत्या करवा दी। 1668 ई. में औरंगजेब ने शिवाजी को राजा की मान्यता दी। 1670 ई. में शिवाजी नेसूरत नगर फिर लूटा जिससे लगभग 132 लाख की संपत्ति् मिली। लौटते वक्त वीर शिवाजी ने मुगल सेना को सूरत के पास पराजित किया। काशी मुगल साम्राज्य के अधीन था और मुगलों ने यह फरमान जारी किया था कि कोई भी पंडित ​वीर शिवाजी का राज्याभिषेक नहीं करेगा। शिवाजी ने इसे चुनौती के रूप में लिया। और वहीं के पंडित श्री गंगा भट्ट ने राज्याभिषेक कराया। शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के 12 दिन बाद ही उनकी माताश्री का देहांत हो गया।

प्रशासन

शिवाजी ने अष्टप्रधान की स्थापना की जो आठ श्रेष्ठ मंत्रियों का समूह था। इनके शासन में मंत्रियों के प्रधान को पेशवा कहा जाता था। जो राजा के बाद सबसे प्रमुख व्यक्ति होता था। अमात्य वित्त और राज्स्व के कार्यो को देखता था। सचिव कार्यालय से जुड़े काम करते थे। सुमंत विदेश मंत्री का पद था। सेना के प्रधान को सेनापति कहा जाता था। दान और धार्मिक मामलों के प्रमुख केा पण्डितराव कहा जाता था। न्याय संबंधी कार्यो को देखने वाले को न्यायधीश कहा जाता था। शिवाजी के शासन में भूमि पर लिए जाने वाले के अलावा चौथ‘ और सरदेशमुखी नामक कर लिया जाता था। चौथ पड़ोसी राज्यों की सुरक्षा की गारंटी के तौर पर लिया जाता था। शिवाजी अपने को सरदेशमुख कहते थे इसलिए सरदेशमुखी कर लिया जाता था।
गुरिल्ला युद्ध पद्धति
शिवाजी महाराज की गनिमी कावा जो एक कुटनीति है जिसका मतलब है शत्रु पर अचानक आक्रमण कर उसे चारो खाने चित्त कर दिया जाए। इसे गुरिल्ला युद्ध भी कहा जाता है। इसमें सैनिक शत्रु पर छिपकर हमला करते है और दुश्मन को मौत की घाट उतार देते है या भागनें पर मजबूर कर देते है।
राजमुद्रा
शिवाजी की राजमुद्रा संस्कृत में लिखी हुई एक अष्टकोणीय मुहर थी जिसका उपयोग शिवाजी अपने पत्रों एवं सैन्य कार्यो पर करते थे। एक स्वतंत्र शासक की तरह इन्होंने अपने नाम का सिक्का चलाया।
शिवाजी सभी धर्मों को मानने वाले हिन्दू शासक थे। देशभक्त मुसलमानों को उनके यहां पूरी आजादी थी। अपने अभियानों का आरंभ वे प्राय: दशहरा के अवसर पर करते थे। 10 नवंबर 1659 को शिवाजी महाराज ने अफजल खां को मौत के घाट उतार दिया था। 1665 ई. में शिवाजी और औरंगजेब के बीच पुरंदर की संधि हुई थी। तीन सप्ताह की बिमारी के बाद अप्रैल 1680 में भारत माता के महान सपुत को वीरगति प्राप्त हो गई। शिवाजी महाराज की समाधी रायगढ़ में है।
वीर शिवाजी के नाम पर पुरस्कार
छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम पर महाराष्ट्र सरकार द्वारा 1970 से शिव छत्रपति पुरस्कार दिया जाता है। खेलों में बेहतर योगदान देने वाले को यह दिया जाता है। इसके तहत 3 लाख की राशि प्रदान की जाती है। 2019 में यह पुरस्कार मलखंभ खेल के कोच उदय देशपांडे और महिला क्रिकेटर स्मृति मंधाना को मिल चुका है।

छत्रपति शिवाजी महाराज अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा सांताक्रुज मुंबई में है।
माता जीजाबाई के नाम पर

माता जीजाबाई के नाम पर नारी शक्ति सम्मान भारत सरकार के महिला एवं बाल बिकास मंत्रालय द्वारा दिया जाता है। यह असाधारण पुरस्कार के लिए व्यक्तिगत महिलाओं को प्रदान किया जाता है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर प्रतिवर्षयह पुरस्कार राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया जाता है। इसे 1999 में स्त्री शक्ति पुरस्कार के नाम से शुरू किया गया था। 2015 में इसका नाम बदलकर नारी शक्ति सम्मान (पुरस्कार) किया गया। 2019 में यह पुरस्कार 15 महिलाओं को दिया गया।
वीर शिवाजी धारावाहिक
छत्रपति शिवाजी महाराज पर वीर शिवाजी नाम से एक सीरियल का निर्माण हो चुका है जिसमें उनके जीवन—चरित्र को दर्शाया गया है।यह सितंबर 2011 से 2012 के बीच 182 एपिसोड में चला है। यह वायकॉम18 और कलर्स पर प्रसारित किया था। इसे इंडियन टेली पुरस्कार, सर्वश्रेष्ठ हिस्टोरिकल सीरिज, जीजाओ पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
कुछ तथ्य

जिसका नाम नहीं मरता हर दिल में बस जाता है ऐसा वीर पुरूष छत्रपति शिवाजी कहलाता है।जिसके दम पर भगवा ऊंचे गगन में लहराता है, ऐसे वीर शिवाजी को देख पूरा भारत शीश झुकाता है। रण में देख जिसे दुश्मन भय से कांप जाता है, वीर शिवाजी की ललकार से दुश्मन अपनी मांद में छिप जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *