देश में आर्थिक विकास को बढ़ाने के मकसद से उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात ने श्रम कानून (Labour Law) में बदलाव किया है। राज्य सरकारें इसे निवेश, नौकरी और अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए अच्छा फैसला बता रही हैं। पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों संग बैठक कर कहा था कि भारत के पास ये अच्छा मौका है कि वह चीन से पलायन करने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियों को अपनी तरफ आकर्षित करे।
मध्य प्रदेश में हुए हैं ये बदलाव
मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने उद्योगों को राहत व बढ़ावा देने के लिए सबसे पहले लेबर कानूनों में बदलाव की घोषणा की थी। मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य में अगले 1000 दिनों (लगभग ढाई वर्ष) के लिए श्रम कानूनों से उद्योगों को छूट दे दी है।
- छूट की इस अवधि में केवल औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 25 लागू रहेगी।
- 1000 दिनों की इस अवधि में लेबर इंस्पेक्टर उद्योगों की जांच नहीं कर सकेंगे।
- उद्योगों का पंजीकरण/लाइसेंस प्रक्रिया 30 दिन की जगह 1 दिन में ऑनलाइन पूरी होगी।
- अब दुकानें सुबह 6 से रात 12 बजे तक खुल सकेंगी। पहले ये समय सुबह 8 बजे से रात 10 बजे तक था।
- कंपनियां अतिरिक्त भुगतान कर सप्ताह में 72 घंटे ओवर टाइम करा सकती हैं। शिफ्ट भी बदल सकती हैं।
- कामकाज का हिसाब रखने के लिए पहले 61 रजिस्टर बनाने होते थे और 13 रिटर्न दाखिल करने होते थे। संशोधित लेबर कानून में उद्योगों को एक रजिस्टर रखने और एक ही रिटर्न दाखिल करने की छूट दी गई है।
- 20 से ज्यादा श्रमिक वाले ठेकेदारों को पंजीकरण कराना होता था। ये संख्या बढ़ाकर अब 50 कर दी गई है।
- 50 से कम श्रमिक रखने वाले उद्योगों व फैक्ट्रियों को लेबर कानूनों के दायरे से बाहर कर दिया गया है।
- संस्थान सुविधानुसार श्रमिकों को रख सकेंगे। श्रमिकों पर की गई कार्रवाई में श्रम विभाग व श्रम न्यायालय का हस्तक्षेप नहीं होगा।
उत्तर प्रदेश में हुए हैं ये बदलाव
यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने अगले 1000 दिन के लिए लेबर कानूनों में कई अहम बदलाव किये हैं। यूपी सरकार ने इसके लिए ‘उत्तर प्रदेश टेंपररी एग्जेम्प्शन फ्रॉम सर्टेन लेबर लॉज ऑर्डिनेंस 2020’ को मंजूरी प्रदान कर दी है।
- संसोधन के बाद यूपी में अब केवल बिल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स एक्ट 1996 लागू रहेगा।
- उद्योगों को वर्कमैन कंपनसेशल एक्ट 1923 और बंधुवा मजदूर एक्ट 1976 का पालन करना होगा।
- उद्योगों पर अब ‘पेमेंट ऑफ वेजेज एक्ट 1936’ की धारा 5 ही लागू होगी।
- श्रम कानून में बाल मजदूरी व महिला मजदूरों से संबंधित प्रावधानों को बरकरार रखा गया है।
- उपर्युक्त श्रम कानूनों के अलावा शेष सभी कानून अगले 1000 दिन के लिए निष्प्रभावी रहेंगे।
- औद्योगिक विवादों का निपटारा, व्यावसायिक सुरक्षा, श्रमिकों का स्वास्थ्य व काम करने की स्थिति संबंधित कानून समाप्त हो गए।
- ट्रेड यूनियनों को मान्यता देने वाला कानून भी 1000 दिन के लिए खत्म कर दिया गया है।
- अनुबंध श्रमिकों व प्रवासी मजदूरों से संबंधित कानून भी 1000 दिन के लिए समाप्त कर दिए गए हैं।
- यूपी सरकार द्वारा लेबर कानून में किए गए बदलाव नए और मौजूदा, दोनों तरह के कारोबार व उद्योगों पर लागू होगा।
- उद्योगों को अपनी सुविधानुसार शिफ्ट में काम कराने की छूट दी गई है।
गुजरात में हुए हैं ये बदलाव
मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश के बाद गुजरात ने भी लेबर कानूनों में बदलाव की घोषणा की है। मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में 1000 दिन की छूट के मुकाबले गुजरात ने 200 दिन ज्यादा के लिए कानूनी छूट की घोषणा की है। गुजरात में उद्योगों को 1200 दिनों (3.2 साल) के लिए लेबर कानून से छूट प्रदान की गई है।
- नए उद्योगों के लिए 7 दिनों में जमीन आवंटन की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
- नए उद्योगों को काम शुरू करने के लिए 15 दिनों के भीतर हर तरह की मंजूरी प्रदान की जाएगी।
- नए उद्योगों को दी जाने वाली छूट उत्पादन शुरू करने के अगले दिन से 1200 दिनों तक जारी रहेगी।
- गुजरात ने नए उद्योगों के लिए 33 हजार हेक्टेयर भूमि चिह्निति की है।
- नए उद्योगों के रजिस्ट्रेशन व लाइसेंस आदि की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन कर दी गई है।
- नए उद्योगों को न्यूनतम मजदूरी एक्ट, औद्योगिक सुरक्षा नियम और कर्मचारी मुआवजा एक्ट का पालन करना होगा।
- उद्योगों को लेबर इंस्पेक्टर की जांच और निरीक्षण से मुक्ति।
- अपनी सुविधानुसार शिफ्ट में परिवर्तन करने का अधिकार।