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भूकंप को लेकर दिल्ली बहुत संवेदनशील है। दिल्ली और इसके आसपास के इलाके को भूवैज्ञानिकों ने जोन 4 में रखा है। इस क्षेत्र में 7.9 तीव्रता तक का भूकंप आ सकता है। जिससे व्यापक तौर पर जनहानि संभव है।

चार हिस्सों में बंटा है भारत का भूकंप जोन

भारतीय मानक ब्यूरो ने विभिन्न एजेंसियों से प्राप्त वैज्ञानिक जानकारियों के आधार पर पूरे भारत को चार भूकंपीय जोनों में बांटा है। इसमें सबसे ज्यादा खतरनाक जोन 5 है। वैज्ञानिकों के अनुसार इस क्षेत्र में रिक्टर स्केल पर 9 तीव्रता का भूकंप आ सकता है।

जोन 5
जोन-5 में पूरा पूर्वोत्तर भारत, जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्से, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड गुजरात में कच्छ का रन, उत्तर बिहार का कुछ हिस्सा और अंडमान निकोबार द्वीप समूह शामिल है। इस क्षेत्र में अक्सर भूकंप आते रहते हैं।

जोन-4

जोन-4 में जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के बाकी हिस्से, दिल्ली, सिक्किम, उत्तर प्रदेश के उत्तरी भाग, सिंधु-गंगा थाला, बिहार और पश्चिम बंगाल, गुजरात के कुछ हिस्से और पश्चिमी तट के समीप महाराष्ट्र का कुछ हिस्सा और राजस्थान शामिल हैं।

जोन-3

जोन-3 में केरल, गोवा, लक्षद्वीप द्वीपसमूह, उत्तर प्रदेश के बाकी हिस्से, गुजरात और पश्चिम बंगाल, पंजाब के हिस्से, राजस्थान, मध्यप्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक शामिल हैं।

जोन-2

जोन-2 भूकंप की दृष्टि से सबसे कम सक्रिय क्षेत्र है। इसे सबसे कम तबाही के खतरे वाले क्षेत्र की श्रेणी में रखा गया है। जोन-2 में देश का बाकी हिस्से शामिल हैं।

क्यों आता है भूकंप

भूकंप से मतलब ऐसी प्राकृतिक घटना है जिसमें अचानक ऊर्जा के प्रवाह से धरती की ऊपरी परत हिलती है और सिस्मिक किरणे पैदा होती है। धरती के नीचे टेक्टोनिक प्लेट्स के हिलने से भूंकप पैदा होते हैं। भूकंप कई तरह के होते हैं कई इतने भूकंप हल्के होते हैं जो हमे पता भी नहीं चलते लेकिन कई ऐसे होते हैं जो पूरा शहर बर्बाद कर देते हैं। भूंकप वैसे तो अधिकतर प्राकृतिक रुप से आते हैं लेकिन कई बार यह ज्वालामुखी फूटने, भूस्खलन, सुरंग में विस्फोट और परमाणु परीक्षण के कारण भी आते हैं। धरती के भीतर जिस स्थान से भूकंप पैदा होता है उसे हाइपोसेंटर कहते हैं और धरती के ऊपर हाइपोसेंटर के ठीक ऊपर के स्थान को एपीसेंटर (भूकंप का केन्द्र) कहते हैं।

सिस्मोलॉजी में भूकंप के बारे में पढ़ाया जाता है

20वीं सदी के शुरू में सिस्मोलॉजी (भूंकप से जुड़ी पढ़ाई) के आने से पहले भूकंप के बारे में किसी को नहीं पता था। सिस्मोलॉजी में भूकंप के बारे में पढ़ाया जाता है। अगर समुद्र में शक्तिशाली भूकंप आता है तो इससे सूनामी भी आ सकती है। भूकंप को मैग्नीट्यूड स्केल के आधार पर नापा जाता है।

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