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विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (World Health Organisation) स्‍वास्‍थ्‍य के लिए संयुक्‍त राष्‍ट्र की विशेषज्ञ एजेंसी है। यह एक अंतर-सरकारी संगठन है, जो आमतौर पर सदस्‍य देशों के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालयों के जरिए उनके साथ मिलकर काम करता है। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (WHO) दुनिया में स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी मामलों में नेतृत्‍व प्रदान करने, स्‍वास्‍थ्‍य अनुसंधान अजेंडा को आकार देने, नियम और मानक तय करने, प्रमाण आधारित नीतिगत विकल्‍प पेश करने का काम करता है। डब्‍ल्‍यूएचओ देशों को तकनीकी समर्थन प्रदान करने और स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी रुझानों की निगरानी और आकलन करने के लिए भी जिम्‍मेदार है। इसकी स्‍थापना 7 अप्रैल, 1948 को संयुक्‍त राष्‍ट्र ने की थी।

दिल्‍ली में है कंट्री कार्यालय का मुख्‍यालय

भारत के लिए विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के कंट्री कार्यालय का मुख्‍यालय दिल्‍ली में है और देशभर में इसकी उपस्थिति है। यह संगठन मातृ, नवजात, बाल और किशोर स्‍वास्‍थ्‍य, संचारी रोग नियंत्रण, असंचारी रोग आदि की रोकथाम की दिशा में काम करता है। इसका मुख्यालय स्वि‍टजरलैंड के जेनेवा में स्थित है। वर्तमान समय में WHO के हेड टेड्रोस एडहानॉम (Tedros Adhanom) हैं, जो चीन को लेकर काफी विवादों में हैं।

अमेरिका सबसे बड़ा दानदाता

अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अनुसार चीन ने डब्‍ल्‍यूएचओ को 4.2 करोड़ डॉलर की मदद दी है। वहीं, अमेरिका ने डब्‍ल्‍यूएचओ को 45 करोड़ डॉलर से ज्‍यादा की मदद की है। इससे पहले अमेरिकी कांग्रेस ने इस वित्तीय वर्ष के लिए 12.2 करोड़ डॉलर की मदद का ऐलान किया था। वहीं, ट्रंप ने मात्र 5.8 करोड़ के बजट का प्रस्‍ताव दिया था। दरअसल, डब्‍ल्‍यूएचओ की फंडिंग का अमेरिका सबसे बड़ा जरिया है और कुल खर्च का 22 प्रतिशत हिस्‍सा देता है। इसके बाद दूसरे नंबर पर चीन है, जो 12 प्रतिशत की राशि का योगदान करता है। इस सूची में तीसरे नंबर पर जापान है, जो 8.56 प्रतिशत, जर्मनी 6 प्रतिशत, ब्रिटेन 4.56 प्रतिशत राशि का योगदान करता है। भारत का योगदान मात्र 0.8341 प्रतिशत है। डब्‍ल्‍यूएचओ को बिल और मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन और कई अन्‍य संगठनों से भी काफी पैसा मिलता है। बता दें कि WHO ने 2019-2023 के लिए 14.14 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश का लक्ष्य रखा है।

WHO की क्यों हो रही है आलोचना

कोरोना महामारी के इस दौर में WHO की दुनियाभर में आलोचना हो रही है। कहा जा रहा है कि अगर डब्‍ल्‍यूएचओ ने सही समय पर सूचना दी होती तो कोरोना संकट को रोका जा सकता था। दरअसल, 14 जनवरी को WHO ने एक ट्वीट करके कहा था कि कोरोना वायरस इंसान से इंसान में नहीं फैल रहा है। वह भी त‍ब जब चीन के बाहर थाइलैंड में एक मामला सामने आया था। वैश्विक संस्‍था की यह गलती आजतक दुनिया चुका रही है। उधर, अमेरिकी सीनेट की विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष सीनेटर जिम रिच ने कोविड-19 से निबटने में WHO के तौर तरीकों की स्वतंत्र जांच कराने की मांग की है।

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