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नासा का नया उपग्रह ज्वालामुखी और भूकंप की चेतावनी देगा

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राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अन्तरिक्ष प्रशासन (नासा) का एक नया उपग्रह (सैटेलाइट) ज्वालामुखी विस्फोट और भूकंप के शुरुआती चेतावनी संकेत दे सकता है। इस उपग्रह से उपलब्ध आंकड़े उस क्षेत्र की पहचान करने में मदद करेंगे, जहां ऐसे किसी संकट के दौरान आपदा राहत पहुंचाई जानी चाहिए। नासा ने वर्ष 2020 के शुरू में 1200 से अधिक क्यूबसैट अंतरिक्ष में छोड़े थे। इन 1200 क्यूबसैट्स में से, 80 क्यूबसैट्स लॉन्च के दौरान ही नष्ट हो गए थे, लेकिन 1100 से अधिक क्यूबसैट्स अब भी पृथ्वी की कक्षा में स्थित हैं। ये क्यूबसैट्स अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए बनाए गए एक प्रकार के छोटे उपग्रह हैं। क्यूबसैट इमेजिंग रडार फॉर अर्थ साइंसेज (CIRES) को आपदा से निबटने के लिए निर्णयकर्ताओं को तैयारी करने में मदद प्रदान करने के लिए बनाया जाएगा। इंटरफेरोमेट्रिक सिंथेटिक एपर्चर रडार (InSAR) से उपलब्ध डाटा भी आपदा के स्थान की पहचान करने में मदद कर सकता है।

ज्वालामुखी और भूकंप की भविष्यवाणी कैसे काम करेगी

भूकंपों के लिए, CIRES के नए किस्म के रडार भूकंप के आने से पहले ही इसके खतरे को भांप सकते हैं। किसी ज्वालामुखी विस्फोट से पहले उभार घटना होती है। मैग्मा जमा होता है और जिसके कारण जमीन थोड़ी-सी ऊपर की तरफ़ उभरती है। InSAR इस उभार का निरीक्षण कर सकता है और उस विशेष क्षेत्र में ज्वालामुखी विस्फोट के बारे में पूर्व-चेतावनी दे सकता है।
अमेरिकी भूगर्भीय सर्वेक्षण के एक भूभौतिकीविद् केली एंडरसन के अनुसार, ‘यद्यपि, यह अनुमान लगाना मुश्किल होगा कि यह भावी विस्फोट कितना लंबा या बड़ा होगा’।

नासा के बारे में भी जानें

राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अन्तरिक्ष प्रशासन (नासा) की स्थापना वर्ष 1958 में की गई थी और यह संयुक्त राज्य अमेरिका की संघीय सरकार का एक स्वतंत्र निकाय है। यह नागरिक अंतरिक्ष कार्यक्रम के साथ-साथ वैमानिकी एवं अन्तरिक्ष तकनीकी अनुसंधान से जुड़े सारे कामकाज संभालता है। नासा का उद्देश्य पृथ्वी अवलोकन प्रणाली के माध्यम से पृथ्वी की बेहतर समझ, पूरे सौर मंडल में स्थित अन्य निकायों की खोज करने के साथ विभिन्न संबंधित कार्यक्रमों और गहन अवलोकनों के माध्यम से विभिन्न खगोल भौतिकी विषयों के बारे में अनुसंधान करना है।

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