अमेरिका और अफगानिस्तान के आतंकी गुट तालिबान के बीच 29 फरवरी, 2020 को कतर में शांति समझौते पर हस्ताक्षर हुए। इसके मुताबिक अमेरिका 14 महीने में अफगानिस्तान से अपने सैनिक हटाएगा। इसके अलावा समझौते में शामिल अन्य शर्तें भी 135 दिन में पूरी कर ली जाएंगी। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा कि तालिबान से हुआ समझौता तभी कारगर साबित होगा, जब तालिबान पूरी तरह से शांति कायम करने की दिशा में काम करेगा। इसके लिए तालिबान को आतंकी संगठन अलकायदा से अपने सारे रिश्ते तोड़ने होंगे। यह समझौता इस क्षेत्र में एक प्रयोग है। हम तालिबान पर नजर बनाए रखेंगे। अफगानिस्तान से अपनी सेना पूरी तरह से तभी हटाएंगे, जब पूरी तरह से पुख्ता कर लेंगे कि तालिबान अंतरराष्ट्रीय समुदाय पर आतंकी हमले नहीं करेगा।
शांति समझौते में भारत की भूमिका अहम रही
इस समझौते के लिए भारत समेत 30 देशों के राजदूतों को दोहा आने का न्योता भेजा गया था। इसमें भारत की भूमिका अहम रही है। 24-25 फरवरी को भारत दौरे पर आए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इसे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से चर्चा की थी। शांति समझौते से पहले भारतीय विदेश सचिव हर्षवर्धन शृंगला 28 फरवरी, 2020 की रात काबुल पहुंच गए। उन्होंने राष्ट्रपति अशरफ गनी और सरकार के आला अधिकारियों से मुलाकात की। शृंगला ने राष्ट्रपति गनी को प्रधानमंत्री मोदी का पत्र भी सौंपा।